Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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पष्ट
पंक्ति
प्राशुद्ध
११ .
१३४
११
कम नव बटा
कम ८/१४ तथा नव बटा ॥१९६।। स्वस्थान
॥१९६।। स्पष्टीकरण-स्वस्थान स्वस्थान की
स्वस्थान व समृदयात की भाग अथवा
माग प्रसंख्यात बहुमाग अथवा चौड़े माग
चौथे भाग शंका-१:....ही आता है। x x x (तीनों पंक्तियां काटनी है।) लेने पर जीव
लेने पर भी जीव संयम
समय को जानना चाहिए। सख्यात संख्यात प्रसंख्यात व अनन्त भेद बाला
प्रसंन्यात व अनन्त प्रावलियों का वह एक समय
एक समय मावलियों सिख को
सिडों को माम समय १
६ मास = समय
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छह प्रावली प्रमाण वह बड़े वच पटल के चाहिए । यह
संख्यात मावली प्रमाण वह छोटे-बड़े वना पृथ्वी के चाहिए । जघन्य प्रत्येक गरीर वर्गगा
से उत्कृष्ट प्र.श. वर्गणा असंख्यात गुणी है। गुणकार पल्य का प्रसंख्यातवां मार
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१८-१९
होती हैं । इस प्रकार
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होती हैं । अपनी जघन्य से उत्कृष्ट बादर निगोद वर्गणा प्रसंख्यात गुरणी है। जगमश्रेणी के मसंख्यात माग गुणकार
है इस प्रकार पादि में उत्तरोत्तर न्यून तः सू०, स. सि०, राजवातिक की
परम्परा:होते हैं। इस प्रकार पाट गुणस्थान से १४वें
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मादि में न्यून नक्शे के ऊपर इस तरह हेडिंग
लगाना: - होते हैं । पाठ गुणस्थान १४ यह क्रम की प्रोष काल मिला डेन गुणहानि कर्म है
को प्रोष काल में मिला डेढ़ गुणा हानिx कर्म प्रमाण है।
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