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युक्ति पूर्वक उस असङ्गति का निवारण करना । जैसे - श्रद्धा पूर्वक प्रार्थना करने से ही इष्टफल की प्राप्ति होती है, विघ्नभूत कर्मों का क्षय होता.
प्र.118 नियुक्ति किसे कहते है ? उ. आवश्यक नियुक्ति के अनुसार - "निज्जुता ते अत्था जं बद्धा तेण
होइ निज्जुति" अर्थात् सूत्र में निश्चित्त किया हुआ अर्थ जिसमें निबद्ध हो यानि जिसके द्वारा सूत्र के साथ अर्थ का निर्णय होता है, वह नियुक्ति
प्र.119 नियुक्ति किस भाषा व शैली में रची जाती है और किसी एक
नियुक्तिकार का नाम बताइये ? नियुक्ति प्राकृत भाषा में और पद्यात्मक आर्याछंद में रची जाती है। द्वितीय
भद्रबाहु स्वामी नियुक्तिकार के रुप में विख्यात है। प्र.120 नियुक्ति साहित्य पर वृतिकारों ने टीका क्यों रची ? उ. नियुक्ति अत्यन्त संक्षिप्त और सांकेतिक होने के कारण वृतिकारों ने
स्पष्टतार्थ हेतु नियुक्ति पर टीका रची। प्र.121 नियुक्ति रचना का उद्देश्य क्या है ? उ. "सूत्रार्थयोः परस्परं नियोजन सम्बन्धं नियुक्तिः" निश्चित्त रुप से
सम्यग् अर्थ का निर्णय करना तथा सूत्र में ही परस्पर संबद्ध अर्थ का प्रकट
करना, नियुक्ति का उद्देश्य है। प्र.122 भाष्य किसे कहते है ? उ. सूत्रों और नियुक्ति का विशेष अर्थ छंद पद्धति में जो लिखा जाता है,
उसे भाष्य कहते है। भाष्य यानि 1. पारिभाषिक शब्दों का व्याख्यान करना । 2. विस्तार के
साथ पद्यबद्ध टीकाएं। 3. नियुक्तियों के गुढार्थ को प्रकट रुप में प्रस्तुत ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 30
आगमों के भेद-प्रभेद
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