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का कहा कर रहे हैं। यही ठीक हैं। अब और कुछ कैसे किया जा सकता है?' यही उसके अंतराय हैं। खुद ने ही रूकावट डाली, जो खुद के लिए ही बाधक है। ज्ञानी से मिलने में आनेवाले अंतराय तोड़ने के लिए क्या करना चाहिए? खुद अपने आप तय करना है कि 'मुझे मोक्ष का अंतराय तोड़ना है,' उसके बाद ज्ञानी से कहना है कि 'कृपा करके अंतराय तोड़ दीजिए,' तो ज्ञानी तोड़ देंगे।
___ जो अंतराय रहित होता है, उसे तो ज्ञानी को देखते ही ठंडक हो जाती है, प्राप्ति हो जाती है!
कितने लोग तो वर्षों से भावना कर रहे होते हैं कि 'दादा के दर्शन करने हैं, लेकिन अंतराय की वजह से नहीं आ पाते। इंसान के सभी अंतराय टूट सकते हैं, लाभांतराय, भोगांतराय, उपभोगांतराय लेकिन ज्ञानांतराय जल्दी नहीं टूटते। ज्ञानी के अंतरायवाला तो दादा के घर की सीढियाँ चढकर भी वापस उतरकर चला जाता है। ऐसे ज्ञानी दस लाख वर्षों में जन्म लेते हैं! वहाँ पर भी कैसे अंतराय लेकर आया है जीव!
प्रत्यक्ष के अंतराय कई लोगों को पड़ जाते हैं। परोक्ष के टूट चुके होते हैं। प्रत्यक्ष के अंतराय जानकार को होते हैं, अनजान को नहीं होते।
अंतराय कर्म तोड़ने के लिए क्या करना चाहिए? रोज़ प्रतिक्रमण करना चाहिए कि 'हे भगवान मेरे अंतराय कर्म दूर कीजिए। पिछली भूलें माफ कर दीजिए।' रोज़ ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए।
ज्ञान-दर्शन के अंतराय किस चीज़ से पड़ते हैं? टेढ़ा इंसान हर एक बात में टेढा बोलता है। ज्ञानी के बारे में टेढ़ा बोलता है, संतों और भक्तों के बारे में टेढ़ा बोलता है। उससे ऐसे अंतराय पड़ जाते हैं।
आत्मा और मोक्ष के बीच बहुत दूरी नहीं हैं, बीच में मात्र अंतराय ही बाधक हैं। ज्ञान देकर, अज्ञान निकालकर ज्ञानी ज्ञानांतराय तोड़ देते हैं। जहाँ पर ज्ञानी का व तीर्थंकरों का विनय धर्म खंडित हो रहा हो, वहाँ पर ज्ञानी भी अंतराय नहीं तोड़ सकते। मोक्ष मार्ग में विनय धर्म मुख्य है। उस में भी ज्ञानी के लिए तो एक टेढ़ा विचार तक नहीं आना चाहिए।
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