Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ. १ सू. १३ मूक्ष्मपृथ्वीकायस्वरूपनिरूपणम् १६९ केन्द्रियौदारिकशरीर-य वत् - कायप्रयोगपरिणत तत्किम् सूक्ष्मपृथिवीकायिक यावत्-एकेन्द्रियौदारिकशरीरकायप्रयोगपरिणत वा भवति ? बादरपृथिवीकाइकै केन्द्रियौदारिक -यावत्- शरीरकायप्रयोगपरिणत वा भवति ? भगवानाह'गोयमा! मुहुमपुढविक्काइयएगिदिय-जाव परिणए चा, बायरपुढविकाइय जाव परिणए वा' हे गौतम ! पृथिवीकायिकैकेन्द्रियौदारिकशरीरकायप्रयोग परिणत द्रव्यम् मूक्ष्मपृथिवीकायिकैकेन्द्रिय यावत्-औदारिकशरीरकायप्रयोगपरिणत वा बादरपृथिवीकायिक-यावत् एकेन्द्रियौदारिकशरीरकायप्रयोगपरिणत वा भवति, गौतमः पृच्छति- 'जइ सुहुमपुढविकाइय-जाव-परिणए किं पजत्तसुहुमपुढवि-जाव-परिणए, अपज्जत्तमुहुमपुढयो-जाव-परिणए!' हे भदन्त ! यद् द्रव्यं मूक्ष्मपृथिवीकायिक-यावत्-एकेन्द्रियौदारिकशरीरगसे परिणत होता है, वह क्या सूक्ष्मपृथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिकशरीरकायप्रयोगसे परिणत होता है ? या बादर पृथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिक शरीरकाय प्रयोगसे परिणत होता है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! 'सुहुमपुढविकाइय जाव परिणए वा' पृथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिक शरीरकायपयोगसे परिणत द्रव्य सूक्ष्मपृथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिक शरीरकायप्रयोगसे भी परिणत होता है और बादर पृथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिक शरीरकायप्रयोगसे भी होता है। अब गौतमस्वामी प्रभुसे ऐसा पूछते हैं 'जह सुहमपुढविक्काइय जाव परिणए' हे भदन्त ! जो द्रव्य सूक्ष्मपृथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिक शरीरकाय प्रयोगसे परिणत होता है वह क्या 'पज्जत्तसुहुमपुढविजाव परिणए ? अपज्जत्तसुहुमपुढवि શરીરકાયપ્રયોગથી પરિત હોય છે, તે શું સુક્ષ્મ પૃકાય- એકેન્દ્રિયના ઔદારિકશરીરકાયપ્રયોગથી પરિણત હોય છે? કે બાદર પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિયના દારિક શરીરકાયપ્રયોગથી પરિણત હેય છે.
उत्तर- " गोयमा " हे गौतम ! " मुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए वा," ઈત્યાદિ પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરકાયપ્રયોગથી પરિણત દ્રવ્ય સૂફમપૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરકાયપ્રયોગથી પણ પરિણત હોય છે અને બાદર પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરકાયપ્રયોગથી પણ પરિણત હોય છે.
भोत्तम स्वाभाना प्रश्न - जइ मुहमपुढविकाइय जाव परिणए" HErd! જે દ્રવ્ય સુક્ષ્મપુથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરકાયપ્રયોગથી પરિણત હેય છે, તે શું पजत्तमुहुमपुढवि जाव परिणए ? अप्पज्जत्तमुहुमपुढवि जाय परिणए ?"
श्री. भगवती सूत्र :