Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 756
________________ ७४४ भगवतीसूत्रो खलु वैक्रियशरीरात् परकीयवैक्रिशरीरमाश्रित्य कतिक्रियो भवति ? भगवानाह'गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए; सिय अकिरिए' हे गौतम ! जीवो यदा परकीयं वैक्रियशरीरमाश्रिल कायं व्यापारयति तदा स्यात् कदाचित् त्रिकियः, स्यात् कदाचित् चतुष्क्रियः, स्यात् कदाचित् अक्रियो भवति, किन्वत्र पश्चक्रियश्च नोच्यते वैकियशरीरधारिणः प्राणातिपातस्य कर्तुमशक्यत्वात् अविरतिमात्रस्य चेहाविवक्षितत्वात, अतएव वक्ष्यते-'पंचमकिरिया न भन्नई इति, पञ्चमक्रिया अत्र वैक्रियप्रकरणे न भण्यते, गौतमः पृच्छति-'नेरइएणं भंते ! वेउब्वियसरीराओ कई किरिए ?' हे भदन्त ! नैरयिकः ! खल वैकियशरीरात वैक्रियशरीरमाश्रित्य कतिक्रियो भवति ? भगवानाह-'गोयमा ! सिय तिसरीराओ कइ किरिया' हे भदन्त ! जीव परकीय वैक्रिय शरीरको आश्रित करके कितने प्रकारकी क्रियाओंवाला होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा' हे गौतम ! सिय तिकिरिए मिय चकिरिए सिय अकिरिए' जीव जब परकीय वैक्रिय शरीर को आश्रित करके कायको व्यापारयुक्त करता है-तब वह कदाचित् तीन क्रियाओं वाला होता है, कदाचित् चार क्रियाओंवाला होता है। और कदाचित् अक्रिया (क्रियारहित) होता है किन्तु यहां पांच क्रियाएँ नहीं होती हैं। क्योंकि जो वैक्रिय शरीरधारी होता है उसका प्राणातिपात अर्थात् घात नहीं किया जा सकता है। सो ही आगे कहेंगे-'पंचम किरिया न भन्नई' इस वैक्रिय प्रकरण में पंचमक्रिया प्राणातिपातक्रिया नहीं कही गई है। अब गौतमम्वामी प्रभुसे पूछते हैं-'नेरइए णं भंते ! वेउब्वियसरीराओ कइ किरिए' हे भदन्त ! नैरयिक वैक्रिय शरीर को आश्रित करके कितनी क्रियाओंबाला होता उत्तर- ' गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय अकिरिए। હે ગૌતમ! જીવ જ્યારે પરકીય શૈકિય શરીરને આશ્રિત કરીને કાયાન વ્યાપાર યુકત કરે છે, ત્યારે કયારેક તે ત્રણ ક્રિયાઓવાળે હેય છે, ક્યારેક ચાર ક્રિયાઓવાળ હોય છે અને કયારેક ક્રિયા રહિત હોય છે. પરંતુ તે કદી પણ પાંચ ક્રિયાઓવાળા હેત નથી, કારણકે શૈક્રિય શરીર ધારી જે જીવ હોય છે તેને પ્રાણાતિપાત (ઘત) કરી શકતો નથી. मा विषयन १५ २५टी४२९१ मा वामां मावश. 'पंचम किरिया न भन्ना' આ ઐયિ શરીર વિષયક પ્રકરણમાં પાંચમી ક્રિયા એટલે કે પ્રાણાતિપાત ક્રિયા કહેવામાં આવી નથી, એ વાત ધ્યાનમાં રાખવા જેવી છે. હવે ગૌતમ સ્વામી પ્રભુને એ પ્રશ્ન પૂછે છે કે'नेरइए ण भंते ! वेउचियसरीराओ कइ किरिए ?' महत! ना२४ ७५ ૌધિ શરીરને આશ્રિત કરીને કેટલી ક્રિયાઓવાળા હોય છે ? श्री. भगवती सूत्र :

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