Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 823
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.७ सू.३ गतिपपाताध्ययननिरूपणम् 811 'बंधणछेयणगई, उववायगई, विहायगई' इत्यादि, बन्धनच्छेदनगतिः उपपातगतिः, विहायोगतिः 'अन्ते गौतमो भगवद्वाक्यं स्वीकुर्वनाह-'सेव भंते ! सेवं मंते ति हे भदन्त ! तदेवं भगवदुक्तं सर्व सत्यमेव, हे भदन्त ! भवदुक्त सर्व सत्यमेवेत्याशयः // मू० 3 // इति श्री-विश्वविख्यात-जगद्वल्लभ-प्रसिद्धवाचक-पश्चदशभाषाकलित-ललित कलापालापक-प्रविशुद्ध-गद्यपद्यनैकग्रंथनिर्मापक-वादिमानमर्दक-श्रीशाहच्छत्रपति-कोल्हापुरराज-प्रदत्त "जैनशास्त्राचार्य" पदभूषित कोल्हापुरराजगुरु-बालब्रह्मचारि- जैनाचार्य-जैनधर्मदिवाकर-पूज्यश्री-घासीलालवतिविरचितायां "श्रीभगवतीमत्रस्य" "प्रमेयचन्द्रिका"ऽऽख्यायां व्याख्यायां अष्टमशतकस्य सप्तमोद्देशकः समाप्तः // 4-7 // छेयणगई, उववायगई, विहायगई ' इत्यादि. अन्त में गौतम स्वामी भगवान के वाक्य को स्वीकार करते हुए कहते हैं-'सेवं भंते ! सेवं मंते ! ति' हे भदन्त ! आप के द्वारा कहा गया सब सत्य ही है. आपके द्वारा कहा गया सब सत्य हो है // सू०३ // जेनाचार्य श्री घासीलालजी महाराजकृत 'भगवती' सूत्रकी प्रमेयचंद्रिका ___ व्याख्याके आठवें शतकका सप्तम उद्देशक समाप्त 8-7 धु >> है- 'बंधण छेयणगई, उववायगई, विहायगई' या मन्ते गौतम स्वामी भावार प्रभुना वयात स्वी४२ 42ai 4 छ– 'सेव भंते ! सेवं भंते! ति' હે ભદન્ત ! આપ સાચું જ કહે છે ! હે ભદન્ત ! આ વિષયનું આપે જે પ્રતિપાદન કર્યું તે સવ થા સત્ય છે. એમ કહીને વંદણા નમસ્કાર કરીને ગૌતમ સ્વામી ઊંચિત સ્થાને ने विमान यया. // सू. 3 // જૈનાચાર્ય શ્રી ઘાસીલાલજી મહારાજત “ભગવતી સૂત્રની પ્રમેયચન્દ્રિકા વ્યાખ્યાનો આઠમા શતકને સાતમે ઉદ્દેશક સમાપ્ત. 8-7 श्री. भगवती सूत्र :

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