Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 772
________________ भगवतीसूत्रे स्थविरा भगवन्तः तान् अन्ययूथिकान् एवम् अवादिषुः-नो खलु आर्याः ! वयम् अदत्तं गृह्णीमः, अदत्त भुञ्जमहे, अदत्त स्वदामहे, वयं खलु आर्याः ! दत्त गृहोमः दत्तं भुजूमहे, दत्त स्वदामहे, तेन खलु वयम् दत्त गृह्णन्तः, दत्त भुञ्जानाः, दत्त स्वदमानाः त्रिविधं त्रिविधेन संयतविरतप्रतिहता यथा सप्तमशतके यावद् एकान्तपण्डिताश्चापि भवामः, ततःखलु ते अन्यको ग्रहण करने की अनुमति देते हो। इस कारण अदत्त को ग्रहण करते हुए तुम यावत् एकान्तबाल हो। (तएणं ते थेरा भगवंतो ते अनउस्थिए एवं वयामी-नो खलु अजो अम्हे अदिन्नं गिण्हामो, अदिन्न भुजामो, अदिन्न साइजामो अम्हेणं अजो दिन भुजामो, दिन्न साइजामो, तएणं अम्हे दिन गेण्हमाणा, दिन भुजमाणा, दिन साइज्जमाणा तिविहं तिविहेणं संजय विरयपडिहयजहा सत्तमसए जाव एगंतपंडिया यावि भवामा) इस प्रकार से अन्ययूथिकों की बात सुनकर उन स्थविर भगवंतोंने उनसे इस प्रकार कहा-हे आर्यो ! हम लोग अदत्त वस्तु को ग्रहण नहीं करते हैं, अदत्त वस्तु का आहार नहीं करते हैं, और अहत्त वस्तु को ग्रहण करने की हम लोग अनुमोदना नहीं करते हैं। हे आर्यो ! हम लोग दिये गये पदार्थ को ही लेते हैं, दिये गये पदार्थ का ही आहार करते हैं और दिये गये पदार्थ को ही हमलोग अनुमोदन करते हैं। इसलिये दी हुई वस्तु का ग्रहण करते हैं, दी हुई वस्तुका सेवन करते हैं और दी પદાથ ને ગ્રહણ કરે છે, અદત્ત દાર્થનું સેવન કરે છે અને અદત્ત પદાર્થ ગ્રહણ કરવાની અનુમતિ આપે છે. આ રીતે અદત્તને ગ્રહણ કરતા એવા તમે અસંયતિથી सधन मे-तमा आई विशषतामा छ. (तएणं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउथिए एवं बयासी-नो खलु अज्जो ! अदिन गिण्हामो, अदिन्नं भुंजामो, अदिन्नं साइज्जामो, अम्हे दिन गेण्हमाणा. दिन्न भुजमाणा, दिन्न साइज्जमाणा, तिविहं तिविहेणं संजय विरय पडिहय जहा सत्तमसए जाव एगंतपंडिया यावि भवामो ) अन्य भतवाहीमाना २॥ प्रा२नी वा समजान તે સ્થવિર ભગવંતોએ તેમને આ પ્રમાણે કહ્યું- હે આર્યો ! અમે અદત્ત વસ્તુને ગ્રહણ કરતા નથી, અદત વસ્તુને આહાર કરતા નથી અને અદત્ત વસ્તુને ગ્રહણ કરવાની અનુદના આપતા નથી. હે આર્યો ! અમે આપવામાં આવેલા પદાર્થો જ ગ્રહણ કરીએ છીએ, અમને આપવામાં આવેલા પદાર્થોને જ આહાર કરીએ છીએ અને આપવામાં આવેલા પદાર્થ લેવાની અનુમતિ આપીએ છીએ. આ રીતે દસ વસ્તુને ગ્રહણ કરનારા, श्री. भगवती सूत्र :

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