Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिकाटीका श.८ उ.२ म.१० लब्धिस्वरूपनिरूपणम् ४८१ नोऽपि शुक्ललेश्यावत्वेन केवलज्ञानलक्षणेकज्ञानित्वात्, अलेश्याः लेश्यारहितास्तु यथा सिद्धाः केवलज्ञानिन उक्तास्तथैव केवलज्ञानलक्षणेकज्ञानिनो द्रष्टव्याः ____ अथ चतुर्दशं कषायद्वारमाश्रित्य पृच्छति- 'सकसाई णं भंते ! जीवाः किं नाणी, अन्नाणी ?' हे भदन्त ! सकषायिणः कषायवन्तः खलु जीवा कि ज्ञानिनो भवन्ति, अज्ञानिनो वा? भगवानाह- 'जहा सइंदिया' हे गौतम ! यथा सेन्द्रियाः भजनया केवलज्ञानवर्जचतुर्जानिनस्यज्ञानिनश्चोक्तास्तथैव सकषायिणोऽपि भजनय चतुर्जानिनस्व्यज्ञानिनश्च द्रष्टव्याः, ‘एवं जाव लोहकसाई' एवं सकपायिवदेव यावत् क्रोधकषायिणः, मानकषायिणः, मायाकपायिणः, लोभकपायिणश्च जीवाः भजनया चतुर्ज्ञानिनस्त्र्य ज्ञानिनश्च द्रष्टव्याः । कि केवली शुक्ललेश्यावाले होते हैं। और वे एक केवलज्ञान से ही ज्ञानी होते हैं। लेश्यारहित जीव सिद्धोंकी तरह एक केवलज्ञानवाले ही होते हैं । अब सूत्रकार चौदहवें कषायद्वारको आश्रित करके कथन करते हैं- इसमें गौतमने प्रभुसे ऐसा पूछा है- 'सकसाई णं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी' हे भदन्त ! सकायो-कपायवाले जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं'जहा सइंदियाँ' हे गौतम ! जैसे सेन्द्रिय जीव भजनासे केवलज्ञान वर्ज चार ज्ञानवाले और तीन अज्ञानवाले कहे गये हैं, उसी तरहसे कषायवाले जीव भी भजनासे चार ज्ञानवाले और तीन अज्ञानवाले कहे गये हैं । 'एवं जाव लोहकसाई' सकषायी जीवों की तरह ही यावत्- क्रोधकषायी, मानकषायी, मायाकषायी और लोभकषायी जीव भी भजनासे चार ज्ञानवाले और तीन अज्ञानवाले होते हैं । કે કેવળી શુકલ લેશ્યાવાળા હોય છે અને તે કેવળ એકજ જ્ઞાન કેવળજ્ઞાનથી જ્ઞાની હોય છે. લેશ્યા રહિત છવ સિદ્ધોની માફક એક કેવળજ્ઞાનવાળા જ હોય છે.
वे सूत्रा यौहमा ४पायहरन माश्रय शने छ, 'सकसाईणं भंते जीवा किं नाणी अन्नाणी' उलगवान ! साय-पायवाणा ७१ ज्ञानी डाय छ
मनानी ? 5. :- 'जहा सईदिया 'वी शते हे गौतम ! सेंद्रीय वने मनाथी કેવળજ્ઞાન છોડીને ચાર જ્ઞાનવાળા અને ત્રણ અજ્ઞનવાળા કહ્યા છે. તે જ રીતે કષાયવાળા ८५ ५५ मनाथी या२ जान माने गए अज्ञानवाणा उपाय छे. 'एवं जाव लोहकसाई' સકષાયિક જીની માફક ચાવત ક્રોધ કષાયી, માનકષાયી, માયાકષાય, અને લેભ કષાયી ७ ५९ मनायी यार ज्ञानवाणा मन ए मशानवास राय छे. प्रश्न :- 'अकसाईणं
श्री. भगवती सूत्र :