Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 653
________________ प्र. च. टी. श.८ उ.५ म्र.१ .स्थलमाणातिपातादिप्रत्याख्याननिरूपणम् ६४१ दाणस्सवि ' एवं मृषावादस्येव अदत्तादानस्यापि सप्तचत्वारिंशदधिकशतसंख्यका अपि भङ्गाः वक्तव्याः, एवं थूलगस्स मेहुणस्सवि' एवं मृषावादस्येव स्थूलकस्य स्थूलस्य मैथुनस्यापि सप्तचत्वारिंशदधिकशतसंख्यकाः विकल्पाः वक्तव्याः, वह स्थूल प्राणातिपातका प्रतिक्रमण, संवर और प्रत्याख्यान करता है तो इस विषय में जैसे अभी एकसौ सेंतालीस भंग प्रकट किये गये हैं उसी प्रकारसे जब यह स्थूल मृषावाद का प्रत्याख्यान करता है तब यह भूतकालिक मृषावाद का प्रतिक्रमण करता है वर्तमान कालिक स्थूल मृषावाद का यह संवर करता है। और भविष्यत् कालिक स्थूल मृषावाद का यह प्रत्याख्यान करता है । अतीतकाल के मृषावाद का जब वह प्रतिक्रमण करता है तब यह त्रिविध मृषावाद का प्रतिक्रमण त्रिविधसे करता है द्विविधसे करता है एकविधसे भी करता है। द्विविध मृषावाद का एकविधसे करता है त्रिविधसे करता है द्विविधसे भी करता है इत्यादि सब कथन प्राणातिपातके प्रतिक्रमण के प्रकरणकी तरह यहां पर भी करलेना चाहिये। इस तरह स्थूल मृषावादके प्रतिक्रमणके विषय में ४९ भंग हो जाते हैं। वर्तमान कालिक स्थूल मृषावाद के संवर करनेके विषयमें ४९ होजाते हैं। तथा अनागत स्थूल मृषावादके प्रत्याख्यान करनेके विषय में ४९ भंग होजाते है इस तरत स्थूल मृषावादके एक सौ सेतालीस भंग होते है। ‘एवं आदिनादाणस्स वि, एवं थूलगस्म मेहुणस्स वि, थूलगस्स परिग्गहस्स સ્થૂલ પ્રાણાતિપાતનું પ્રતિકમણ, સંવર અને પ્રત્યાખ્યાન કરે છે. આ વિષયને અનુલક્ષીને પહેલાં જેવાં ૧૪૭ ભંગ બતાવવામાં આવ્યા છે, એવાં જ ૧૪૭ ભંગ અહીં પણ સમજવા. ભૂતકાલિક મૃષાવાદના પ્રતિક્રમણ વિષયક ૪૯ ભંગ, વર્તમાનકાલિક સ્કૂલ મૃષાવાદના સંવરના ૪૯ ભંગ અને ભવિષ્યકાલિન સ્થૂલ મૃષાવાદના પ્રત્યાખ્યાનના ભંગ મળીને તેના કુલ ૧૪૭ ભંગ સમજવા. ભૂતકાળના મૃષાવાદનું પ્રતિકમણ કરતો તે શ્રાવક ત્રિવિધ મૃષાવાદનું પ્રતિકમણ ત્રિવિધ પણ કરે છે. દ્વિવિધ પણ કરે છે. અને એકવિધે પણ કરે છે. દ્વિવિધ મૃષાવાદનું પ્રતિકમણ વિવિધ પણ કરે છે, કિવિધ પણ કરે છે અને એકવિધ પણ કરે છે. ઇત્યાદિ સમસ્ત કથન પ્રાણાતિપાતના પ્રતિક્રમણના પ્રકરણની જેમ અહીં સમજી લેવું. આ રીતે સ્થૂલ મૃષાવાદનું પ્રતિક્રમણ કરવા વિષેના ૪૯ ભંગ બની જશે, વર્તમાનકાલિક ધૂલમૃષાવાદના સંવર વિશેના ૪૯ ભંગ બનશે અને ભવિષ્યકાલિન स्थूलभूषापान र १४७ सामने छ. ' एवं अदिन्नादाणस्स वि, एवं थूलगस्स मेहुणस्स बि, थूलगस्स परिग्गहस्स वि, जाव अहवा करें तं गाणुजाणइ कायसा' श्री भगवती सूत्र :

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