Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 734
________________ ७२२ भगवतीसूत्र सरीराओ कइकिरिया एवं एसोवि जहां पढमो दंडओ तहा भाणियव्वो, जाव वेमाणिया, नवरं मणुस्सा जहा जीवा, जीवाणं भंते ! ओरालियसरीरेहितो कइकिरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि, अकिरिया वि, नेरइयाणं भंते ! ओरालियसरीरेहितो कइ किरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि, एवं जाव वेमाणिया, नवरं मणुस्सा जहा जीवा, जीवे णं भंते ! वेउव्विए सरीराओ कइकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए, सिय अकिरिए, नेरइएणं भंते ! वेउब्विय सरीराओ कइकिरिए ? गोयमा! सिय तिकिरिए: सिय चउ किरिए, एवं जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे, एवं जहा ओरालियसरीराणं चनारि दंडगा भणिया तहा वेउव्वियसरीरेण वि चत्तारि दंडगा भाणियचा, नवरं पंचमकिरिया न भन्नइ, सेसं तं चेव एवं जहा वेउब्वियं तहा आहारगंपि तेयगंपि, कम्मगंपि भाणियव्वं, एक्केक्के चत्तारि दंडगा भाणियचा, जाव वेमाणियाणं भंते ! कम्मगसरीरेहितो कह किरिया ? गोयमा ! तिकिरियावि, चउकिरियावि, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ सू० ५ ॥ ___ अट्रमसयस्स छट्रो उद्देसओ समत्तो ॥ ८-६॥ छाया-जीवः खलु भदन्त ! औदारिकशरीरात् कति क्रियः ? गौतम ! ग्यात् त्रिक्रियः, म्यात् चतुष्क्रियः, स्यात् पञ्चक्रियः, स्यात् अक्रियः, नैरयिका खलु भदन्त ! औदारिकशरीरात् कतिक्रियः ! गौतम ! स्यात् त्रिक्रियः स्यात् चतुष्क्रियः, स्यात् पश्चक्रियः असुरकुमार खलु भदन्त ! औदारिकशरीरात् कतिक्रियः ? एवं चैव, एवं यावत् वैमानिकः, नवरं मनुष्यो यथा जीवः, जीवः खलु श्री. भगवती सूत्र :

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