Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 673
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.६ स. १ निग्रंथप्रतिलाभफलनिरूपणम् ६६१ जीवस्य परकीयौदारिकशरीरमाश्रित्य कायक्रिया, नैरयिकजीवानाम् एकपरकीयौदारिकशरीरमाश्रित्य कायक्रिया, नैरयिकादीनां कायक्रिया, जीवनाम् औदारिकशरीराण्याश्रित्य कायक्रिया नैरयिकाणां कायक्रिया, जीवस्य वैक्रियशरीरमाश्रित्य कायक्रिया), नैरयिकस्य चैक्रियशरीरमाश्रित्य कायाक्रिया, मनुष्यस्य समुच्चयजीववक्रिया, वैमानिकानां कार्मणशरीरमाश्रित्य क्रिया वक्तव्यताच '. श्रमणोपासक वक्तव्यत्ता । मूलम् - 'समणोवासगस्स णं भंते ! तहारूवं सणणंवा माहणंवा फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेमाणस्स किं कज्जइ ? गोयमा ! एगंतसो निज्जरा कज्जइ, नत्थि य से पावे कम्मे कजइ, समणोवासगस्स णं भंते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा अफासुएणं अणेसणिज्जेणं असणपाणजाव पडिलाभेमाणस्स किं कजइ ? गोयमा ! कायक्रिया होती है। एक जीवके परकीय औदारिक शरीरको आश्रित करके कायक्रिया होती है। नैरयिक जीवोंके एक परकीय औदारिक शरीरको आश्रित करके कायक्रिया होती है । नैरयिक आदि जीवोंके कायक्रिया होती है। जीवोंके औदारिक शरीरों को आश्रित करके कायक्रिया होती है। नारकों के कायक्रिया होती है। एक जीवके वैक्रिय शरीरको आश्रित करके कायक्रिया होती है। मनुष्य के सामान्य जीवकी तरह क्रिया होती है। वैमानिकोंके कार्मण शरीरको आश्रित करके क्रिया होती है- इस प्रकारसे क्रियाके विषय में वक्तव्यताका प्रतिपादन। શરીરને આશ્રિત કરીને કાયકિયા થાય છે. નારક છવામાં એક પરકીય ઔદારિક શરીરને આશ્રિત કરીને કાયક્રિયા થાય છે. નરયિક આદિ છવામાં કાયકિયા થાય છે. જેમાં ઔદારિક શરીરને આશ્રિત કરીને કાયક્રિયા થાય છે. નારકમાં કાયક્રિયા થાય છે. એક જીવમાં ઐકિય શરીરને આશ્રિત કાયક્રિયા થાય છે. મનુષ્યમાં સામાન્ય જીવની જેમ રાજક્રિયા થાય છે. વૈમાનિકમાં કામણશરીરને આશ્રિત કરીને ક્રિયા થાય છે. આ પ્રમાણે ક્રિયા વિષેના વક્તવ્યનું પ્રતિપાદન. श्री. भगवती सूत्र:

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