Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ. ३ सू. ३ रत्नप्रभादिपृथिवीनिरूपणम्
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टीका - कूर्मादिजीवाधिकारात् तदुत्पत्तिक्षेत्रस्य रत्नप्रभादेश्चरमाचरमविभाग वक्तव्यतामाह - 'कह णं भंते' इत्यादि । ' कइ णं भंते! पुढवीओ, पण्णत्ताओ' गौतमः पृच्छति - हे भदन्त ! कति कियत्यः खलु पृथिव्यः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह - 'गोयमा ! अट्ठ पुढवीओ पण्णनाओ' हे गौतम ! अष्ट पृथिव्यः प्रज्ञशाः 'तंजहा - रयण पभा जाव आहेसत्तमा, ईसीपव्भारा' तद्यथा १ रनप्रभा, यावत् - २ शर्करा प्रभा, ३ वालुकाप्रभा ४ पङ्कप्रभा ५ धूमप्रभा, ६ तमः प्रभा ७ तमस्तमः प्रभा अधःसप्तमी, ८ ईत्प्राग्भारा - मिद्धशिला । गौतमः पृच्छति - 'इमाणं भंते ! चरम भी है और अचरिमा भी है। (सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ) हे भगवन् ! जैसा आपने कहा है वह सब सर्वथा सत्य ही है-हे भदन्त ! आपके द्वारा कहा गया सब सर्वथा सत्य ही है । इस प्रकार कह कर, गौतम यावत् अपने स्थानपर विराजमान हो गये । टीकार्थ - कूर्मादि जीवोंके अधिकार से इनकी उत्पत्ति के क्षेत्र रूप रत्नप्रभा आदि के चरम अचरम आदि विभाग की वक्तव्यता को यहां सूत्रकार कहते हैं - इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है- 'कइणं भंते! पुढवीओ पण्णत्ताओ' हे भदन्त ! पृथिवियां कितनी कही गई हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं- 'गोमा' हे गौतम! 'अट्ट पुढवीओ पण्णत्ताओ' पृथिवियां आठ कही गई हैं। तं जहा ' जो इस प्रकार से हैं- ' रयणप्पभा जाव अहे सत्तमा १ रत्नप्रभा, २ शकराप्रभा, ३ वालुकाप्रभा, ४ पङ्कप्रभा ५ धूमप्रभा, ६ तमः प्रभा, और सातवीं तमस्तमाप्रभा तथा आठवीं ' ईसीपन्भारा ' ईषत्प्राग भारा- सिद्धशिला । यावत् - वैमानिम्देव शरभ पशु छे अने अयरम पशु हे 'सेवं भंते ! सेवं भंते त्ति' હે ભગવાન! આપે જે કહ્યું છે તે સર્વથા સત્ય છે. હે ભગવાન્ તમારા દ્વારા કરાએલ સઘળું કથન સત્ય જ છે એ પ્રમાણે કહીને ગૌતમ સ્વામી યાત્ર-પેાતાના સ્થાનપર મિરાજમાન થઈ ગયા.
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'कइणं भंते
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टीडार्थ :- કુર્માન્ત જીવાના અધિકારથી તેમની ઉત્પત્તિના ક્ષેત્રરૂપ રત્નપ્રભા व्याहिना शरम अन्यरभ आदि विभाजनुं निश्या ४२ ४२ छे पुढवीओ पण्णत्ताओ' हे भगवान् पृथ्वी थे। उसी उही हे गौतम! ' अट्ट पुढवीओ पण्णत्ताओ' पृथ्वी જે આ પ્રમાણે છે. रयणप्पभा जाव अहे
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? उत्तर :- गोयमा आई उसी छे. 'तं जहा ' सत्तमा १. २त्नप्रभा, २. शाश
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अला, 3. वालुम अला, ४. पंअला थ. धूभला, ६, भगला, ७. तभस्तभा प्रला,
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૬