Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ. २ नू. ४ भेदज्ञाननिरूपणम्
३२७
1
तम् नानाविधजीवाजीवाकारम् विभङ्गज्ञानं प्रज्ञप्तम् । इतः पूर्वं ज्ञानानि अज्ञानानि चोक्तानि, अथ ज्ञानिनोऽज्ञानिनश्च निरूपयितुमाह 'जीवा णं भंते ! किं नाणी, अन्नाणी ?' गौतमः पृच्छति - हे भदन्त ! जीवाः खलु किं ज्ञानिनी भवन्ति ? अज्ञानिनो वा भवन्ति ? भगवानाह - 'गोयमा ! जीवा नाणी वि, अन्नाणी वि, ' हे गौतम! जीवाः खल ज्ञानिनोऽपि भवन्ति, अज्ञानिनोऽपि च भवन्ति, 'जे नाणी ते अत्थेगइया दुन्नाणी' ये ज्ञानिनः तेषु सन्ति एकके द्विज्ञानिनः
'अत्थेगइया तिन्नाणी' सन्ति एकके त्रिज्ञानिनः 'अत्येगइया चउनाणी' सन्ति विभंगज्ञान नानाविध जीव और अजीवके आकारका होता है । यह पहिले ही प्रकट कर दिया गया है कि जो अवधिज्ञान विपरीत होता है वह विभंग कहा गया है, अथवा 'विरूपोभङ्गः विभङ्गःजिसमें अवधि- द्रव्य-क्षेत्र आदिरूप मर्यादाका भेद त्रिरूप होता है वह अवधिज्ञान विभङ्ग कहा गया है। अथवा विरुद्धाः भङ्गा ? वस्तुविकल्पाः यस्मिन जिस अवधिज्ञान में वस्तु विकल्पपदार्थ पर्यालोचन विरुद्ध होते हैं, वह अवधिज्ञान विभंग होता है | यहांतको सूत्रकारने ज्ञान और अज्ञानके विषयमें कथन किया है अब वे ज्ञानी और अज्ञानीके विषयमें कथन करते हैं इसमें गौतमस्वामी प्रभुसे ऐसा पूछते हैं 'जीवाणं भंते : किं नाणी, अन्नाणी' हे भदन्त ! जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? उत्तरमें प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम! 'जीवा नाणी वि, अन्नाणी वि, जीव ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी होते हैं । जे नाणी ते अत्थेगइया दुन्नाणी' जो ज्ञानी होते हैं उनमें से कितनेकजीव दो એ રીતે વિભ’ગજ્ઞાન અનેક જીવ અને અજીવના આકારનું હાય છે. તા પહેલાં જ પ્રકટ કરેલ છે કે જે અવધિજ્ઞાન વિપરીત હેાય તે જ વિભગજ્ઞાન ાય છે. અથવા'विरूपो भङ्गः विभङ्गः' मा अवधि-द्रव्य, क्षेत्र यहि भर्याद्वानो मे वि३प होय छे ते अवधिज्ञान विज्ञान उडेवाय हे अथवा 'विरुद्धा भंङ्गाः वस्तुविकल्पाः यस्मिन' જે અવધિજ્ઞાનમાં વસ્તુવિકલ્પ-પદાર્થનું પર્યાલાચન વિરૂદ્ધ હાય- તે અવધિજ્ઞાન વિભગ હાય છે. અહીં પર્યંત સૂત્રકારે જ્ઞાન અને અજ્ઞાનના વિષયમાં કથન કરેલ છે. હવે તે જ્ઞાની અને અજ્ઞાનીના વિષયમાં કથન કરે છે. તે વિષયમાં ગૌતમ સ્વામી પ્રભુને એવું पूछे छे 3- 'जीवाणं भंते किं नाणी अन्नाणी' हे भगवन व ज्ञानी होय छे अज्ञानी ? ७. - 'गोयमा' हे गौतम 'जीवा नाणी वि अन्नाणी वि' ७१ ज्ञानी पशु छे अने अज्ञानी पणु. 'जे नाणी ते अत्थेगइया दुन्नाणी' ने ज्ञानी होय
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૬
3