Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ. २ सू. ९ लब्धिस्वरूपनिरूपणम् ४४१ खल भदन्त ! जीवाः किं ज्ञानिनः, अज्ञानिनः ? गौतम ! चत्वारि ज्ञानानि त्रीणि च अज्ञानानि भजनया, तस्य अलब्धिकानां पृच्छा ? गौतम ! ज्ञानिनः, नो अज्ञानिनः, नियमात् एकज्ञानिनः-केवलज्ञानिनः, श्रोत्रोन्द्रियलब्धिको यथा इन्द्रियलब्धिकाः, तस्य अलब्धिकाः खलु पृच्छा ? गौतम ! ज्ञानिनोऽपि, नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए) बाल पण्डितवीर्यकी लब्धि विना के जीवोंमें पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजनासे होते हैं । (इंदियः लद्धियाणं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी) हे भदन्त! जो जीव इन्द्रियलब्धिवाले होते हैं, वे क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (चत्तारि णाणाई, तिन्नि य अण्णाणाई भयणाए) इन्द्रियलब्धिवाले जीवों में चार ज्ञान तथा तीन अज्ञान भजनासे होते हैं । (तस्स अलद्धियाणं पुच्छा) हे भदन्त ! जो जीव इन्द्रियलब्धि विनाके होते हैं, वे क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं । (गोयमा! नाणी नो अन्नाणी नियमा एगनाणी, केवल नाणी) इन्द्रियलब्धि विनाके जीव ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं होते हैं । ज्ञानीमें उनमें नियमसे एकज्ञान-केवलज्ञानवाले ही होते हैं। (सो इदियलद्धियाणं जहा इंदियलद्धिया) श्रोत्रेन्द्रिय लब्धिवाले जीव इन्द्रिय लब्धिवालोंकी तरहसे होते हैं । (तम्स अलद्धियाणं पुच्छा) हे भदन्त ! श्रोत्रइन्द्रिय लब्धिरहित जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होतेहैं? (गोयमा) हे गौतम! श्रोत्रइन्द्रिय लब्धिरहित जीव (णाणी वि निति अन्नाणाई भयणाए' पासपडित वायसवानाना मां पांय जान भने त्रा अज्ञान मनायी य छे. 'इंदियलद्धियाणे भंते जीवा कि नाणी अन्नाणी'
Hard! २ ७१ द्रियाणाडायछ तेशानी डाय छे छे जानी ?'गोयमा' हे गौतम ! 'चत्तारिनाणाइं तिन्नि य अन्नाणाई भयणाए' द्रियाणा 9वामा यार जान तथा अज्ञान सनाया डाय छे. 'तस्स अलद्धियाणं पुच्छा' HErd! रे છવ ઈન્દ્રયલબ્ધિ સિવાયના હેય છે તે શું જ્ઞાની હોય છે કે અજ્ઞાની હોય છે ! 'गोयमा' 'नाणी नो अन्नाणी नियमा एगनाणी केवलनाणी'छन्द्रियसमिय સિવાયના છ જ્ઞાની જ હોય છે અજ્ઞાની હતા નથી અને તેઓ નિયમથી એક કેવળાનવાળા नडाय है. 'सो इं.ियलद्धियाणं जहा इंदियलद्धिया' श्रोतेन्द्रिय part १ ध्यन्द्रि Alaqtan योनी भर समपा. 'तस्स अलद्धियाणं पुच्छा' भगवन्! श्रोत्रादि सम्धि सिवायना 4 ज्ञानी डाय छ है मशानी ? ' गोयमा' हे गौतम! श्रोत्रद्रिय स हित ७५ 'नाणी वि अन्नाणा वि.' सानी ५५ हाय छे भने
श्री. भगवती सूत्र :