Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
४७६
भगवतीमुत्रे पृच्छति-'ओहिंदसणअणागारोवउत्ता णं पुच्छा' हे भदन्त ! अवधिदर्शनानाकारोपयुक्ताः खलु जीवाः किं ज्ञानिनो भवन्ति, अज्ञानिनो वा ? इति पृच्छा प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा ! नाणी वि, अन्नाणी वि.' हे गौतम ! अवधिदर्शनाऽनाकारोपयोगिनो जीवाः ज्ञानिनोऽपि भवन्ति, अज्ञानिनोऽपि, यतो हि दर्शनस्य सामान्यविषयतया, सामान्यस्य चाभिन्नरूपत्वेन ज्ञानिदर्शने अज्ञानिदर्शने भेदाभावात् 'जे नाणी ले अत्थेगइया तिन्नाणी, अस्थेगइया चउन्नाणी' ये अवधिदर्शनाऽनाकारोपयुक्ता ज्ञानिनस्ते सन्ति एकके त्रिज्ञानिनो भवन्ति, सन्ति एकके चतुर्तानिनो भवन्ति 'जे तिन्नाणी ते आभिणिबोहियनाणी, मुयनाणी, ओहिनाणी' ये त्रिज्ञानिनस्ते आभिनियोधिकज्ञानिनः, श्रुतज्ञानिनः, अज्ञानियों में तीन अज्ञान कहे गये हैं। अतः गौतमस्वामी प्रभु से पूछते हैं की-'ओहिंदसण अणागारोवउत्ता णं पुच्छा' जो जीव अवधि दर्शनरूप अनाकार उपयोगवाले होते हैं वे क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? उत्तरमें प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! 'नाणी वि अन्नाणी वि' जो जीव अवधिदर्शनरूप अनाकार उपयोगवाले होते हैं वे ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी होते हैं। क्योंकि दर्शन सामान्यको विषय करनेवाला होता है और जो सामान्य होता है वह एकरूप होता है इसलिये ज्ञानीके दर्शनमें और अज्ञानीके दर्शनमें कोई भेद नहीं होता है । 'जे नाणी ते अत्थेगइया तिन्नाणो, अत्थेगइया चउनाणी' इनमें जो ज्ञानी होते हैं उनमें कितनेक अवधिदर्शनरूप अनाकार उपयोगवाले जीव तीन ज्ञानवाले होते हैं और कितनेक चार ज्ञानवाले होते हैं । 'जे तिन्नाणी ते आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिકેવળજ્ઞાનને છોડીને જ્ઞાનીઓ માં ભજનાથી ચાર જ્ઞાન અને અજ્ઞાનીઓમાં ત્રણ અજ્ઞાન होवार्नु यु छ १२:- ओहिदसणअणागारोवउत्ताणं पुच्छा' २७१ मधिशन રૂપ અનાકાર ઉપગવાળા હોય છે તે જ્ઞાની હોય છે કે અજ્ઞાની હોય છે ? ઉત્તર :'गोयमा' गौतम ! ' नाणी वि अन्नाणी वि'२ १ मधिश न३५ અનાકાર ઉપગવાળા હોય છે તે જ્ઞાન હોય છે કે અજ્ઞાની હોય છે. કેમકે દર્શન સામાન્યને વિષય કરવાવાળું હોય છે અને જે સામાન્ય હોય છે તે એકરૂપ હોય છે. मेटा भाटे जानीना शनमा मन मशानानाशनमा हाते नथी. जे नाणी ते अत्थेगइया तिन्नाणी अत्थेगइया चउनाणी' तमाम से जानी जाय ते पै। કેટલાક અવધિ દર્શનરૂપ અનાકારે યોગવાળા જીવ ત્રણ જ્ઞાનવાળા હોય છે અને કેટલાક यार ज्ञानवाणा होय छे. 'जे तिन्नाणी ते आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी
श्री. भगवती सूत्र :