Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ. २ मू. १० लब्धिस्वरूपनिरूपणम् ४६७ काययोगिनोऽपि, अयोगिनो यथा सिद्धाः, सलेश्याः खलु भदन्त ! जीवाः किं ज्ञानिनः, अज्ञानिनः १ यथा सकायिकाः, कृष्णलेश्याः खलु भदन्त ! जीवाः किं ज्ञानिनः, अज्ञानिनः ? यथा सेन्द्रियाः, एवं यावत्-पद्मलेश्याः शुक्ललेश्याः यथा सलेश्याः, अलेश्या यथा सिद्धाः। सकषाविणः खलु भदन्त ! जीवा किं ज्ञानिनः, अज्ञानिनः ? यथा सेन्द्रियाः, एवं यावत्-लोभकषायिणः, (जहा सकाइया) हे गौतम ! सयोगी जीव सकायिक जीवों की तरह होते हैं। (एवं मणजोगी, वहजोगी, कायजोगी वि) इसी प्रकार मनयोगी, वचनयोगी, और काययोगी होते हैं। (अजोगी जहा सिद्धा) अयोगी जीव सिद्धोंकी तरह होते हैं । (सलेस्सा णं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी) हे भदन्त ! जो जीव लेश्यावाले होते हैं, वे क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? ( जहा सकाइया ) है गौतम ! लेश्यावाले जीव सकायिक जीवोंकी तरह होते हैं । ( कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी) हे भदन्त ! कृष्णलेश्यावाले जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? ( जहा सइंदिया) हे गौतम ! कृष्णलेश्यावाले जोव सेन्द्रिय जीवोंके जैसे होते हैं। ( एवं जाव पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा, जहा सलेस्सा, अलेग्सा जहा सिद्धा) इसी प्रकार यावत् पद्मलेश्यावाले जीव होते हैं। शुक्ललेश्यावाले जीव सलेश्य जीवों जैसे होते हैं। तथा जो लेझ्यासे रहित जीव हैं वे सिद्धोंकी तरह होते हैं । (सकसाईणं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी) हाय है सजानी डाय छ ? 'जहा सकाइया' गौतम! सयोगी ५ सय
वानी भा हाय छे. ' एवं मणजोगी बइजोगी कायजोगी वि' मेकर शत भनायोगी, क्यनयोगी, मने थियागी ने पर सभरवा. 'अजोगी जहा सिद्धा' भयो ७ सिखानी भा३४ हाय छ. 'सलेस्साणं भंते जीवा कि नाणी अन्नाणी' 294 सेश्यावा डाय छ तेशानी होय छे ४ सजानी डाय छ ? ' जहा सकाइया' है गीतम! सेश्यावाणा 94 सीयि वानी म॥३४ हाय छे. 'कण्डलेस्साणं भंते जीवा किं नाणी अन्नाणी ' भगवन् ! वेश्याव॥ ज्ञानी डाय छ । अजानी हाय ? 'जहा सइंदिया ' गौतम ! कृपालेश्यावाणा ०१ सेंद्रिय वानी भा५४०१ हाय ®. 'एवं जाव पम्हलेस्सा, सुकलेस्सा जहा सलेस्सा, अलेक्सा जहा सिद्धा' मे शत यावत् पश्यावा॥ ७१ हाय छे. शुखलेश्या ७१ સલેશ્ય જીવોની જેવા હોય છે તથા જે લેડ્યા વિનાના જીવ હેય છે તેને સિદ્ધોની भा३४ सभा . 'सकाइयाणं भंते जीवा किं नाणी अन्नाणी' 4 पायसहित
श्री. भगवती सूत्र :