Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेrचन्द्रिका टीका श. ८ उ. २ सु. ७ लब्धिस्वरूपनिरूपणम्
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हे गौतम ! ज्ञानलब्धिमन्तो जीवा ज्ञानिनो भवन्ति, नो अज्ञानिनः, तत्र सन्ति एकके केचन द्विज्ञानिनः, एवं तेषां पञ्च ज्ञानानि भजनया - केचन त्रिज्ञानिनः, केचन चतुर्ज्ञानिनः केचन एकज्ञानिनः, तत्रापि पूर्ववत् एकज्ञानिनः केवलज्ञानिनो भवन्ति । गौतमः पृच्छति - ' तस्स अलद्धियाणं भंते! जीवा किं नाणी, अन्नाणी ?' हे भदन्त ! तस्य ज्ञानस्य अलब्धिका अलब्धिकमन्तो ज्ञानलब्धिरहिताः खलु जीवाः किं ज्ञानिनो भवन्ति ? अज्ञानिनो वा भवन्ति ? भगवानाह - 'गोयमा ! नो नाणी, अन्नाणी 'हे गौतम! ज्ञानलब्धिरहिता जीवाः नो ज्ञानिनो भवन्ति, अपितु अज्ञानिन एव भवन्ति, तत्र 'अत्थेगइया दुअन्नाणी तिन्नि अन्नाणाणि भयणाए' सन्ति एकके केचन अज्ञानिनो जीवा द्वयज्ञानिनो अज्ञानी नहीं होते । जो ज्ञानी होते हैं उनमें कितनेक दो ज्ञानवाले होते हैं, कितनेक तीन ज्ञानवाले होते हैं, कितनेक चार ज्ञानवाले होते हैं और कितनेक एक ज्ञानवाले होते हैं। जो एक ज्ञानवाले होते हैं वे केवलज्ञानवाले होते हैं- दो ज्ञानवाले जो होते हैं वे मतिज्ञान और श्रुतज्ञानवाले होते हैं इत्यादि सब कथन पहिले जैसा जानना चाहिये | अब गौतम प्रभुसे ऐसा पूछते हैं 'तस्स अलद्धियाणं भंते! जीवा किं नाणी अन्नाणी? हे भदन्त ! जो ज्ञानलब्धि से रहित होते हैं- ऐसे जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञनी होते हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम! 'नो नाणो अन्नाणी' ज्ञानलब्धि रहित जीव ज्ञानी नहीं होते हैं, किन्तु अज्ञानी ही होते हैं। इन अज्ञानी जीवोमें 'अत्थेगया हु अन्नाणी तिन्नि अण्णाणाणि भयणाए' कितनेक जीव दो अज्ञानवाले होते हैं और कितनेक अज्ञानी जीव જ્ઞાની હોય છે તેમાં કેટલાક એ જ્ઞાનવાળા અને કેટલાક ત્રણ જ્ઞાનવાળા અને કેટલાક ચાર જ્ઞાનવાળા અને કેટલાક એક જ્ઞાનવાળા હોય છે. જે એક જ્ઞાનવાળા હોય છે તે કેવળજ્ઞાનવાળા જ હોય છે. જે એ જ્ઞાનવાળા હેાય છે. તે મતિજ્ઞાન અને શ્રુત જ્ઞાનવાળા होय ते. छत्याहि समग्रम्थन पडेलांनी प्रेम समल सेवु. प्रश्न :- तस्स अलद्धियाणं भंते जीवा किं नाणी अन्नाणी ' हे भगवन ! ने लवज्ञान सब्धि वगरना होय छे તે શું નાની હાય છે કે અજ્ઞાની હોય છે? ઉઃ- नो नाणी अन्नाणी' ज्ञानसधि रहीत वा ज्ञानी नहीं पशु अज्ञानी छे अज्ञानीमोमां ' अत्येगइया કેટલાક જીવ એ અજ્ઞાનવાળો,
८
याने ते
दुअन्नाणी, तिन्नि अन्नाणाणि भयणाए '
કેટલાક ત્રણ અજ્ઞાનવાળા હાય છે એ રીતે ત્રણ અજ્ઞાનવાળાની ભજના છે. प्रश्न :
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૬