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अड़तालीसवें समवाय का पहला सूत्र - ' एगमेस्स णं रन्नो.....' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ६५३ में भी प्रत्येक चक्रवर्ती के अड़तालीस हजार पट्टण बताये हैं ।
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अड़तालीसवें समवाय का तीसरा सूत्र – 'सूरमंडले णं अडयालीसं ..... .' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ६५४ में भी सूर्यविमान का विष्कम्भ एक योजन के इकसठ भागों में से अड़तालीस भाग जितना है
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उनपचासवें समवाय का दूसरा सूत्र – 'देवकुरु - उत्तरकुरुएसु णं........ ' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ६५५ में भी देवकुरु और उत्तरकुरु के मनुष्य उनपचास अहोरात्रि में युवा हो जाते कहे हैं ।
पचासवें समवाय का चौथा सूत्र – 'सव्वेवि णं दीहवेयड्ढा मूले...... ' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ६५६ में भी सर्व दीर्घ वैताढ्य पर्वतों के मूल का विष्कंभ पचास योजन का है।
पचासवें समवाय का छठा सूत्र - 'सव्वाओ णं तिमिस्सगुहाओ.. तिमिश्र गुफा और खण्डप्रपात गुफाओं का आयाम पचास पचास योजन का है।
त्रेपनवें समवाय का पहला सूत्र -'
-'देवकुरु-उत्तरकुरुयाओ.. उत्तरकुरु की जीवा का आयाम त्रेपन हजार योजन का बताया है।
त्रेपनवें समवाय का दूसरा सूत्र – 'महाहिमवंतरुप्पीणं.......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ६५९ में भी महाहिमवंत और रुक्मी आदि के आयाम का वर्णन है।
पचपनवें समवाय का दूसरा सूत्र – 'मन्दरस्स णं पव्वयस्स.......... .' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ६६० में भी मेरुपर्वत के पश्चिमी चरमान्त से विजयद्वार के पश्चिमी चरमान्त का अव्यवहित अन्तर पचपन हजार योजन का है।
सत्तावनवें समवाय का पाँचवा सूत्र – 'महाहिमवंत - रुप्पीणं......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ६६१ में भी महाहिमवंत जौर रुक्मी वर्षधर पर्वतों की जीवा का वर्णन है।
६५३.
६५४.
है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ६५७ में भी सर्व
साठवें समवाय का पहला सूत्र - ' एगमेगे णं मंडले.....' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ६६२ में भी वर्णन है कि प्रत्येक मण्डल में सूर्य साठ-साठ मुहूर्त पूरे करता है ।
६५५.
६५६.
६५७.
६५८.
६५९.
६६०.
६६१.
६६२.
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति - वक्ष ३ सूत्र ६९ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति - वक्ष ७ सूत्र १३०
.' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ६५८ में भी देवकुरु और
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति - वक्ष २ सूत्र २५ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति - वक्ष १ सूत्र १२
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति - वक्ष १ सूत्र १२ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति - वक्ष ४ सूत्र ८७ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति - वक्ष ४ सूत्र ७९
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति - वक्ष १ सूत्र ८
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति - वक्ष ४ सूत्र ७९
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति - वक्ष ६ सूत्र १२७
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