Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Hiralal Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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२२४]
[समवायाङ्गसूत्र मरुदेवी। ये कुलकरों की पत्नियों के नाम हैं ।।४।।
६३३-जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे णं ओसप्पिणीए चउवीसं तित्थगराणं पियरो होत्था। तं जहा
णाभी य जियसत्तू य [जियारी संवरे इय । मेहे धरे पइठे य महसेणे य खत्तिए ॥५॥ सुग्गीवे दढरहे विण्हू वसुपुज्जे य खत्तिए । कयवम्मा सीहसेणे भाणू विस्ससणे इय ॥६॥ सूरे सुदंसणे कुंभे सुमित्तविजए समुद्दविजये य । राया य आससेणे य सिद्धत्थे च्चिय खत्तिए ॥७॥ उदितोदिय कुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहि उववेया ।
तित्थप्पवत्तयाणं एए पियरो जिणवराणं] ॥८॥ इस जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इस अवसर्पिणी काल में चौबीस तीर्थंकरों के चौबीस पिता हुए। जैसे
१.नाभिराय, २. जितशत्र, ३. जितारि, ४. संवर, ५. मेघ,६.धर, ७. प्रतिष्ठ, ८. महासेन, ९. सुग्रीव, १०. दृढ़रथ, ११. विष्णु, १२. वसुपूज्य, १३. कृतवर्मा, १४. सिंहसेनं, १५. भानु, १६. विश्वसेन १७. सूरसेन, १८. सुदर्शन, १९. कुम्भराज, २०. सुमित्र, २१. विजय, २२. समुद्रविजय, २३. अश्वसेन
और २४. सिद्धार्थ क्षत्रिय ॥५-७॥ तीर्थ के प्रवर्तक जिनवरों के ये पिता उच्च कुल और उच्च विशुद्ध वंश वाले तथा उत्तम गुणों से संयुक्त थे॥८॥
६३४-जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए चउवीसं तिथगराणं मायरो होत्था। तं जहा
मरुदेवी विजया सेणा [सिद्धत्था मंगला सुसीमा य पुहवी लक्खणा रामा नंदा विण्हू जया सामा]। सुजसा सुव्वय अइरा सिरिया देवी पभावई पउमा॥९॥.
वप्पा सिवा य वामा य तिसलादेवी य जिणमाया। इस जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इस अवसर्पिणी में चौबीस तीर्थंकरों कीरचौषीस माताएं हुईं हैं। जैसे
१. मरुदेवी, २. विजया, ३. सेना, ४. सिद्धार्था, ५. मंगला, ६. सुसीमा, ७. पृथिवी, ८. लक्ष्मणा, ९. रामा, १०. नन्दा, ११. विष्णु, १२. जया, १३. श्यामा, १४. सुयशा, १५. सुव्रता, १६. अचिरा, १७. श्री, १८. देवी, १९. प्रभावती, २०. पद्मा, २१. वप्रा, २२. शिवा, २३. वामा और २४. त्रिशला देवी । ये चौबीस जिन-माताएं हैं ॥९-१०॥
६३५-जंबुद्दीणे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए चउवीसं तित्थगरा होत्था। तं
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