Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Hiralal Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 361
________________ [समवायाङ्गसूत्र २३७ २२४ २२९ २२९ ८५ ६ २२८ २३० २३९ २३५ २४२] परिशिष्ट (१) ग्रन्थगतगाथानुक्रमणिका अकुमारभूए जे केई ८६ | ईसादोसेण आविढे अटुंतकडा रामा २३५ | उक्खित्तणाए संघाडे अणागयस्स नयवं ८५ | उदए पेढालपुत्ते य अणियाणकडा रामा २३५ | उदितोदितकुलवंसा अणंतरा य आहारे २१४ | उदितोदितकुलवंसा अण्णाणया अलोभे | उदितोदितकुलवंसा अतवस्सी य जे केई ८६ | उवगसंतं पि झंपित्ता अतिपासं च सुपासं २३६ | उवट्ठियं पडिविरयं अत्थे य सूरियावत्ते उवही-सुअ-भत्तपाणे अदीणसत्तु संखे उसभस्स पढमभिक्खा अपस्समाणो पासामि उसभे सुमित्ते विजए अप्पणो अहिए बाले एए खलु पडिसत्तू अबहुस्सुए य जे केई एए खलु पडिसत्तू अबंभयारी जे केई एएधम्मायरिया अभयकर णिव्वुइकरा एए वुत्ता चउव्वीसं अममे णिक्कसाए य एएवुत्ता चउव्वीसं अयले विजए भद्दे २३४ एक्कारसुत्तरं हेट्ठिमेसु अरुणप्पभ चंदप्पभ २२५ एक्को य सत्तमीसु असिपत्ते धणुकुंभे | एयाइं नामाई असंजल जिणवसहं २३६ | किइकम्मस्स य करणे अस्सग्गीवे तारए २३५ | किण्हसिरी सूरसिरी आणय-पाणय कप्पे १९९ | गावि जुवे संगामे आयरिय-उवज्झाएहिं ८६ | गूढायारी निगूहिज्जा आयरिय-उवज्झाायाणं ८६ / घंसेइ जो अभूएणं आलोयण निरवलावे | चंदजसा चंदकंता आसीयं बत्तीसं अट्ठावीसं चंदाणणं सुचंदं . अंबड दारुमडे य २३७ चंपग बउले य तहा अंबे अंबरिसी चेव | चउवीसई मुहुत्ता इड्ढी जुई जसो वण्णो चउसट्ठी असुराणं ईसरेण अदुवा गामेण ८६ / चत्तारि दुवालस अट्ठ २२५ २३५ २३४ ३३ २३३ २२३ २३६ १९९ २३६ १९९

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