Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Hiralal Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti

Previous | Next

Page 362
________________ [२४३ २२९ २२५ २२३ २३१ ८५ ७ ८५ २२९ २२८ २३७ ८६ ग्रन्थगतगाथानुक्रमणिका] जं निस्सिए उवहणइ जस्सिणी पुष्फचूला य जाणमाणे परिसओ जायतेयं समारब्भ जियरागमग्गिसेणं जे अ माणुस्सए भोए जे कहाहिगरणाई जे नायगं च रट्ठस्स जे य आहम्मिए लोए जे यावि तसे पाणे णग्गोह सत्तिवण्णे णाभी य जियसत्तू य तत्तो हवइ सयाली तहेवाणंतनाणीणं तिंदुग पाडल जंबू तिण्णेव गाउयाइं तिलए य लोहजंघे तिविठे य दुविठे य तीसा य पण्णवीसा दस चोद्दस अट्ठारसेव दावद्दवे उदगणाए दिण्णे य वराहे पुण दीव-दिसा-उदहीणं दुविठू य तिविठू य धिइ-मई य संवेग नंदीय य नन्दिमित्ते नवमो य महापउमो नेयाउयस्स मग्गस्स पउमा सिवासुई तह पउमुत्तरे महाहरी पउमे य महापउमे पच्चक्खाणे विउस्सग्गे पढमा होई सुभद्दा ८६ | पढमेत्थ उसभसेणे २२९ | पढमेत्थ वइरनाभे पढमेत्थ विमलवाहण ८५ पयावई य बंभे | पाणिणा संपिहित्ताणं | पुणो पुणो पणिधिए | बंभी य फग्गु सामा बत्तीसं धणुयाई | बत्तीसट्ठा वीसा | बहुजणस्स नेयारं २२८ | बारस एक्कारसमे २२४ बोधव्वा देवई य भद्दा तह सुभद्दा य भरहे य दीहदंते २२८ भरहो सगरो मघवं २२८ | मत्तंगया य भिंगा २३९ मंदर जसे अरिठे | मंदर मेरु मणोरम मरुदेवी विजया सेणा महापउमे सूरदेवे महुरा य कणगवत्थू मिगसिर अद्दा पुस्से मित्तदामे सुदामे. य मियवाहणे सुभूमे य मियवई उमा चेव वंदामि जुत्तिसेणं वयछक्कं कायछक्कं विमले उत्तरे अरहा विसनन्दी य सुबन्धू विस्सभूई पव्वयए | संगाणं च परिण्णाया | संभूय सुभद्द सुदंसणे २३० | संवरे अणियट्ठी य १९९ ८६ १९१ २३७ २३१ २३८ २३० २७ २३१ ५० २२४ २३७ २३५ २७ २२३ २३६ २३१ २३६ ५६ २४० २३४ २३४ २३४ २३७

Loading...

Page Navigation
1 ... 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379