Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Hiralal Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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२३०]
[समवायाङ्गसूत्र और तीर्थ-प्रवर्तक जिनवरों की प्रथम शिष्याएं हुईं ॥४३-४४१/२ ॥
६५०-जंबुद्दीवेणं[ दीवे] भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए बारस चक्कवट्टिपियरो होत्था। तं जहा
उसभे सुमित्ते विजए समुद्दविजए य आससेणे य । विस्ससेणे य सूरे सुदंसणे कत्तवीरिए चेव ॥४६॥ पउमुत्तरे महाहरी विजए राया तहेव य ।
बंभे बारसमे उत्ते. पिउनामा चक्कवट्टीणं ॥४७॥ इस जम्बूद्वीप के इसी भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में उत्पन्न हुए चक्रवर्तियों के बारह पिता थे। जैसे
१. ऋषभजिन, २. सुमित्र, ३.विजय, ४. समुद्रविजय, ५. अश्वसेन, ६. विश्वसेन,७. सूरसेन, ८. कार्तवीर्य, ९. पद्मोत्तर, १०. महाहरि, ११. विजय और १२. ब्रह्म। ये बारह चक्रवर्तियों के पिताओं के नाम हैं ।।४६-४७॥
६५१-जंबुद्दीवे[णं दीवे] भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए बारस चक्कट्टिमायरो होत्था। तं जहा-सुमंगला जसवती भद्दा सहदेवी अइरा सिरिदेवी तारा जाला मेरा वप्पा चुल्लिणि अपच्छिम।
इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में बारह चक्रवर्तियों की बारह माताएं हुईं। जैसे
१. सुमंगला, २. यशस्वती, ३. भद्रा, ४. सहदेवी, ५. अचिरा, ६. श्री, ७. देवी, ८. तारा, ९. ज्वाला, १०. मेरा, ११. वप्रा, और १२. बारहवीं चुल्लिनी।
६५२-जंबुद्दीवे [णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए ] बारस चक्कवट्टी होत्था। तं
जहा
भरहो सगरो मघवं [सणंकुमारो य रायसझूलो। संती कुंथू य अरो हवइ सुभूमो य कोरव्वो ॥४८॥ नवमो य महापउमो हरिसेणो चेव रायसझूलो।
जयनामो य नरवई बारसमो -बंभदत्तो य॥४९॥ इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में बारह चक्रवर्ती हुए। जैसे
१. भरत, २. सगर, ३. मघवा, ४. राजशार्दूल सनत्कुमार, ५. शान्ति, ६. कुन्थु,७.अर, ८. कौरववंशी सुभूम, ९. महापद्म, १०. राजशार्दूल हरिषेण, ११.जय और १२. बारहवां नरपति ब्रह्मदत्त ॥४८-४९ ॥ ६५३–एएसिं बारसण्हं चक्कवट्टीणं बारस इत्थिरयणा होत्था। तं जहा
पढमा होइ सुभद्दा भद्द सुणंदा जया य विजया य। किण्हसिरी सूरसिरी पउमसिरी वसुंधरा देवी॥५०॥ लच्छिमई कुरुमई इत्थीरयणाण नामाइं।
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