Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Hiralal Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 350
________________ अतीत अनागतकालिक महापुरुष] [२३१ इन बारह चकवर्त्तियों के बारह स्त्रीरत्न थे। जैसे १. प्रथम सुभद्रा, २. भद्रा, ३. सुनन्दा, ४. जया, ५. विजया, ६. कृष्णश्री, ७. सूर्यश्री, ८. पद्मश्री, ९. वसुन्धरा, १०. देवी, ११. लक्ष्मीमती और १२. कुरुमती। ये स्त्रीरत्नों के नाम हैं ॥ (५०-५०१/२)॥ ६५४-जंबुद्दीवे [णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए] नवबलदेव-नववासुदेवपितरो होत्था। तं जहा पयांवई य बंभो [सोमो रुद्दो सिवो महसिवो य। अग्गिसिहो य दसरहो नवमो भणिओ य वसुदेवो॥५१॥] इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी में नौ बलदेवों और नौ वासुदेवों के नौ पिता हुए। जैसे १. प्रजापति, २. ब्रह्म, ३. सोम, ४. रुद्र, ५. शिव, ६. महाशिव, ७. अग्निशिख, ८. दशरथ और ९. वसुदेव ॥५१॥ ६५५-जंबुद्दीवे णं [ दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए ] णव वासुदेवमायरो होत्था। तं जहा मियावई उमा चेव पुहवी सीया य अम्मया। लच्छिमई सेसमई केकई देवई तहा॥५२॥ इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में नौ वासुदेवों की नौ माताएं हुईं। जैसे १. मृगावती, २. उमा, ३. पृथिवी, ४. सीता, ५. अमृता, ६. लक्ष्मीमती, ७. शेषमती, ८. केकयी और ९. देवकी॥५२॥ . ६५६-जंबुद्दीवेणं [ दीवे भारहे वासे इमीमे ओसप्पिणीए]णव बलदेवमायरो होत्था। तं जहा भद्दा तह सुभद्दा य सुप्पभा य सुदंसणा। विजया वेजयंती य जयंती अपराजिया॥५३॥ णवमीया रोहिणी य बलदेवाण मायरो। इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में नौ बलदेवों की नौ माताएं हुईं। जैसे १. भद्रा, २. सुभद्रा, ३. सुप्रभा, ४. सुदर्शना, ५. विजया, ६. वैजयन्ती, ७. जयन्ती, ८. अपराजिता और ९. रोहिणी। ये नौ बलदेव की माताएं थीं॥५३॥ ६५७-जंबुद्दीवे णं [दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए ] नव दसारमंडला होत्था। तं जहा-उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी छायंसी कंता सोमा सुभगा पियदंसणा सुरुवा सुहसीला सुहाभिगमा सव्वजणणयणकंता ओहबला अतिबला

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