Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Hiralal Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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अतीत अनागतकालिक महापुरुष ] सुमइति ।
जम्बूद्वीप के ऐरवत वर्ष में आगामी उत्सर्पिणी काल में दश कुलकर होंगे १ . विमलवाहन, २. सीमंकर, ३. सीमंधर, ४. क्षेमंकर, ५. क्षेमंधर, ६. दृढधनु, ७. दशधनु, ८. शतधनु, ९ प्रतिश्रुति और १०. सुमति ।
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६६७– जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए चउवीसं तित्थगरा भविस्संति । तं जहा -
[ २३७
महापउमे सूरदेवे सूपासे य सयंपभे । सवाणुभूई अरहा देवस्सुए य होक्खइ ॥ ७४ ॥ उदए पेढालपुत्ते य पोट्टिले सत्तकित्ति य । मुणिसुव्वए य अरहा सव्वभावविऊ जिणे ॥ ७५ ॥ अममे णिक्कसाए य निप्पुलाए य निम्ममे । चित्तउत्ते समाही य आगमिस्सेण होक्खइ ॥ ७६ ॥ संवरे अणियट्टी य विजए विमले ति य । देवोववाए अरहा अणंतविजए इ य ॥ ७७ ॥ एए वृत्ता चउव्वीसं भरहे वासम्मि केवली । आगमिस्सेण होक्खंति धम्मतित्थस्स देसगा ॥ ७८ ॥
1- १.
इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में आगामी उत्सर्पिणी काल में चौबीस तीर्थंकर होंगे। जैसेमहापद्म, २. सूरदेव, ३. सुपार्श्व, ४. स्वयम्प्रभ, ५. सर्वानुभूति, ६. देवश्रुत, ७. उदय, ८. पेढालपुत्र, ९. प्रोष्ठि, १०. शतकीर्त्ति, ११. मुनिसुव्रत, १२. सर्वभाववित्, १३. अमम, १४. निष्कषाय, १५. निष्पुलाक, १६. निर्मम, १७. चित्रगुप्त, १८. समाधिगुप्त, १९. संवर, २०. अनिवृत्ति, २१. विजय, २२. विमल, २३ देवोपपात और २४. अनन्तविजय । ये चौबीस तीर्थंकर भारतवर्ष में आगामी उत्सर्पिणी काल में धर्मतीर्थ की देशना करने वाले होंगे ॥ ७४-७८ ॥
६६८
- एएसिं णं चउव्वीसाए तित्थकराणं पुव्वभविया चउव्वीसं नामधेज्जा भविस्संति (?) (होत्था । )
सेणिय सुपास उदए पोट्टिल्ल तह दढाऊ य ।
कत्तिय संखे य तहा नंद सुनन्दे य सतए य ॥ ७९ ॥
बोधव्वा देवई य सच्चइ तह वासुदेव बलदेवे । रोहिणि सुलसा चेव तत्तो खलु रेवई चेव ॥८०॥ तत्तो हवइ सयाली बोधव्वे खलु तहा भयाली य । दीवायणे य कण्हे तत्तो खलु नारए चेव ॥८१॥ अंबड दारुडे य साई बुद्धे य होइ बोद्धव्वे । भावी तित्थगराणं णामाई पुव्वभवियाई ॥८२॥ इन भविष्यकालीन चौबीस तीर्थंकरों के पूर्व भव के चौबीस नाम इस प्रकार हैं
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