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[समवायाङ्गसूत्र १५७-जम्बुद्दीवेणं दीवे इमीसे ओसप्पिणीए तेवीसं तित्थंकरा पुत्वभवे मंडलियरायाणो होत्था।तं जहा-अजित-सम्भव-अभिणंदण जाव पासो वद्धमाणे य। उसभेण अरहा कोसलिए पुव्वभवे चक्कवट्टी होत्था।
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में इस अवसर्पिणी काल के तेईस तीर्थंकर पूर्वभव में मांडलिक राजा थे। जैसे-अजित, संभव, अभिनन्दन यावत् पार्श्वनाथ तथा वर्धमान। कौशलिक ऋषभ अर्हत् पूर्वभव में चक्रवर्ती थे। - १५८-इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तेवीसं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। अहे सत्तमाए णं पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तेवीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं तेवीसं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। सोहम्मीसाणाणं देवाणं अत्थेगइयाणं तेवीसं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता।
इस रत्नप्रभा पृथिवी में कितनेक नारकियों की स्थिति तेईस पल्योपम कही गई है। अधस्तन सातवीं पृथिवी में कितनेक नारकियों की स्थिति तेईस सागरोपम कही गई है। कितनेक असुरकुमार देवों की स्थि ितेईस पल्योपम कही गई है। सौधर्म ईशान कल्प में कितनेक देवों की स्थिति तेईस पल्योपम कही गई है।
१५९ – हेट्ठिममज्झिमगेविज्जाणं देवाणं जहण्णेणं तेवीसं सागरावेमाइं ठिई पण्णत्ता। जे देवा हेट्ठिमगेवेज्जयविमाणेसु देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं तेवीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। ते णं देवा तेवीसाए अद्धमासाणं आणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा, नीससंति वा। तेसि णं देवाणं तेवीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जई।
संतेगइआ भवसिद्धिआ जीवा जे तेवीसाए भवग्गहणेहिं सिन्झिस्संति बुझिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति।
अधस्तन-मध्यमग्रैवेयक के देवों की जघन्य स्थिति तेईस सागरोपम कही गई है। जो देव अधस्तन ग्रैवेयक विमानों में देवरूप से उत्पन्न होते हैं, उन देवों की उत्कृष्ट स्थिति तेईस सागरोपम कही गई है। वे देव तेईस अर्धमासों (साढ़े ग्यारह मासों) के बाद आन-प्राण या उच्छ्वास-नि:श्वास लेते हैं। उन देवों के तेईस हजार वर्षों के बाद आहार की इच्छा उत्पन्न होती है।
कितनेक भव्यसिद्धिक जीव ऐसे हैं, जो तेईस भव ग्रहण करके सिद्ध होंगे, बुद्ध होंगे, कर्मों से मुक्त होंगे, परम निर्वाण को प्राप्त होंगे और सर्व दु:खों का अन्त करेंगे।
॥ त्रयोविंशतिस्थानक समवाय समाप्त ॥
चतुर्विंशतिस्थानक-समवाय १६०-चउव्वीसंदेवाहिदेवा पण्णत्ता।तं जहा-उसभ-अजित-संभव-अभिणंदण-सुमइपठमप्पह-सुपास-चंदप्पह-सुविधि-सीअल-सिज्जंस-वासुपुज्ज-विमल-अणंत-धम्म-संति-कुंथुअर-मल्ली-मुणिसुव्वय-नमि-नेमी-पास-वद्धमाणा।