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[समवायाङ्गसूत्र
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चतुरशीतिस्थानक-समवाय ३८७-चउरासीइ निरयावाससयसहस्सा। चौरासी लाख नारकावास कहे गये हैं।
३८८-उसभेणं अरहा कोसलिए चउरासीई पुव्वसयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे। एवं भरहो बाहुबली बंभी सुंदरी।।
___ कौशलिक ऋषभ अर्हत् चौरासी लाख पूर्व वर्ष की सम्पूर्ण आयु भोग कर सिद्ध, बुद्ध, कर्मों से मुक्त और परिनिर्वाण को प्राप्त होकर सर्व दु:खों से रहित हुए। इसी प्रकार भरत, बाहुबली, ब्राह्मी और सुन्दरी भी चौरासी-चौरासी लाख पूर्व वर्ष की पूरी आयु पाल कर सिद्ध, बुद्ध, कर्ममुक्त परिनिर्वाण को प्राप्त और सर्व दुःखों से रहित हुए।
___३८९-सिज्जंसे णं अरहा चउरासीइं वाससयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे।
श्रेयान्स अर्हत् चौरासी लाख वर्ष की आयु भोग कर सिद्ध, बुद्ध, कर्ममुक्त, परिनिर्वाण को प्राप्त और सर्व दुःखों से रहित हुए।
३९०-तिविढे णं वासुदेवे चउरासीइं वाससयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता अप्पइट्ठाणे नरए नेरइयत्ताए उववन्ने।
त्रिपृष्ठ वासुदेव चौरासी लाख वर्ष की सर्व आयु भोग कर सातवीं पृथिवी के अप्रतिष्ठान नामक नरक में नारक रूप से उत्पन्न हुए।
३९१-सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो चउरासीई सामाणियसाहस्सीओ पण्णत्ताओ। देवेन्द्र, देवराज शक्र के चौरासी हजार सामानिक देव हैं।
३९२-सव्वे विणं बाहिरया मंदरा चउरासीइंचउरासीइंजोयणसहस्साइं उड्ढे उच्चत्तेणं पण्णत्ता।सव्वे विणं अंजणगपव्वया चउरासीइं चउरासीइंजोयणसहस्साइं उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता।
जम्बूद्वीप से बाहर के सभी (चारों) मन्दराचल चौरासी चौरासी हजार योजन ऊंचे कहे गये हैं। नन्दीश्वर द्वीप के सभी (चारों) अंजनक पर्वत चौरासी-चौरासी हजार योजन ऊंचे कहे गये हैं।
३९३-हरिवास-रम्मयवासियाणं जीवाणं धणुपिट्ठा चउरासीइं जोयणसहस्साइं सोलस जोयणाइं चत्तारि य भागा जोयणस्स परिक्खेवेणं पण्णत्ता।
हरिवर्ष और रम्यकवर्ष की जीवाओं के धनुःपृष्ठ का परिक्षेप (परिधि) चौरासी हजार सोलह योजन और एक योजन के उन्नीस भागों में से चार भाग प्रमाण है।
३९४-पंकबहुलस्सणं कण्डस्स उवरिल्लाओ चरमंताओ हेट्ठिल्ले चरमंते एसणं चोरासीइं जोयणसयसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते।
पंकबहुल भाग के ऊपरी चरमान्त भाग से उसी का अधस्तन-नीचे का चरमान्त भाग चौरासी