________________
द्वादशांग गणि-पिटक]
[१९१ ५६४-उप्पायपुव्वस्स णं दस वत्थू पण्णत्ता। चत्तारि चूलियावत्थू पण्णत्ता। अग्गेणियस्स णं पुव्वस्स चोद्दस वत्थू, वारस चूलियावत्थू पण्णत्ता। वीरियप्पवायस्स णं पुव्वस्स अट्ठ वत्थू अट्ट चुलियावत्थू पण्णत्ता। अस्थिणत्थिप्पवायस्स णं पुव्वस्स अट्ठारस वत्थ दस चलियावत्थ पण्णत्ता। नाणप्पवायस्स णं पुव्वस्स बारस वत्थू पण्णत्ता। सच्चप्पवायस्स णं पुव्वस्स दो वत्थू पण्णत्ता। आयप्पवायस्स णं पुव्वस्स सोलस वत्थू पण्णत्ता। कम्मप्पवायपुव्वस्स णं तीसं वत्थू पण्णत्ता। पच्चक्खाणस्स णं पुव्वस्स वीसं वत्थू पण्णत्ता। विज्जाणुष्पवायस्स णं पुव्वस्स पन्नरस वत्थू पण्णत्ता। अबंझस्स णं पुव्वस्स बारस वत्थू पण्णत्ता। पाणाउस्स णं पुव्वस्स तेरस वत्थू पण्णत्ता। किरियाविसालस्स णं पुव्वस्स तीसं वत्थू पण्णत्ता। लोगबिन्दुसारस्स णं पुव्वस्स पणवीसं वत्थू पण्णत्ता।
उत्पादपूर्व की दश वस्तु (अधिकार) हैं और चार चूलिकावस्तु हैं। अग्रायणीयपूर्व की चौदह वस्तु और बारह चूलिकावस्तु हैं। वीर्यप्रवादपूर्व की आठ वस्तु और आठ चूलिकावस्तु हैं। अस्तिनास्तिप्रवाद पूर्व की अठारह वस्तु और दश चूलिकावस्तु हैं। ज्ञानप्रवादपूर्व की बारह वस्तु हैं। सत्यप्रवादपूर्व की दो वस्तु हैं। आत्मप्रवादपूर्व की सोलह वस्तु हैं। कर्मप्रवादपूर्व की तीस वस्तु हैं। प्रत्याख्यानपूर्व की बीस वस्तु हैं । विद्यानुप्रवादपूर्व की पन्द्रह वस्तु हैं । अबन्ध्यपूर्व की बारह वस्तु हैं। प्राणायुपूर्व की तेरह वस्तु हैं। क्रियाविशालपूर्व की तीस वस्तु हैं । लोकबिन्दुसारपूर्व की पच्चीस वस्तु कही गई हैं। ५६५- दस चोद्दस अट्ठट्ठारसे व बारस दुवे य वत्थूणि ।।
सोलह तीसा वीसा पन्नरस अणुप्पवाययंमि ॥१॥ बारस एक्कारसमे बारसमे तेरसेव वत्थूणि । तीसा पुण तेरसमे चउदसमे पन्नवीसाओ ॥२॥ चत्तारि दुवालस अट्ठ चेव दस चेव चूलवत्थूणि । आइल्लाण चउण्हं सेसाणं चूलिया णत्थि ॥३॥
से त्तं पुव्वगयं। उपर्युक्त वस्तुओं की संख्या-प्रतिपादक संग्रहणी गाथाएं इस प्रकार हैं -
प्रथम पूर्व में दश, दूसरे में चौदह, तीसरे में आठ, चौथे में अठारह, पाँचवें में बारह, छठे में दो, सातवें में सोलह, आठवें में तीस, नववें में बीस, दशवें विद्यानुप्रवाद में पन्द्रह, ग्यारहवें में बारह, बारहवें में तेरह, तेरहवें में तीस और चौदहवें में पच्चीस वस्तु नाम महाधिकार हैं। आदि के चार पूर्व में क्रम से चार, बारह, आठ और दश चूलिकावस्तु नामक अधिकार है। शेष दश पूर्वो में चूलिका नामक अधिकार नहीं हैं। यह पूर्वगत है।
विवेचन-दिगम्बर ग्रन्थों में पूर्वगत वस्तुओं की संख्या में कुछ अन्तर है। जो इस प्रकार हैप्रथम पूर्व में दश, दूसरे में चौदह, तीसरे में आठ, चौथे में अठारह, पांचवें में बारह, छठे में बारह, सातवें में सोलह, आठवें में बीस, नववें में तीस, दशवें के पन्द्रह, ग्यारहवें में दश, बारहवें में दश, तेरहवें में दश और चौदहवें पूर्व में दश वस्तु नामक अधिकार बताये गये हैं। दि०शास्त्रों में आदि के चार पूर्वो की