Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Hiralal Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 277
________________ १५८ ] [ समवायाङ्गसूत्र अनेकोत्तरिका - वृद्धि - समवाय [ सार्धशत से कोटाकोटि पर्यन्त ] - ४५१ – चंदप्पभे णं अरहा दिवढं धणुस्सर्व उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था। आरणकप्पे दिवढं विमाणावाससयं पण्णत्तं । एवं अच्चुए वि १५० । चन्द्रप्रभ अर्हत् डेढ़ सौ धनुष ऊंचे थे। आरण कल्प में डेढ़ सौ विमानावास कहे गये हैं। अच्युत कल्प भी डेढ़ सौ (१५० ) विमानावास वाला कहा गया है। ४५२ - सुपासे णं अरहा दो धणुसया उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था । सुपार्श्व अर्हत् दो सौ धनुष ऊंचे थे। ४५३ – सव्वे वि णं महाहिमवंत - रुप्पीवासहरपव्वया दो दो जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता । दो दो गाउयसयाइं उव्वेहेणं पण्णत्ता । सभी महाहिमवन्त और रुक्मी वर्षधर पर्वत दो-दो सौ योजन ऊंचे हैं और वे सभी दो-दो गव्यूति उद्वेध वाले (गहरे ) हैं । ४५४ - जंबूद्दीवे णं दीवे दो कंचणपव्वयसया पण्णत्ता २०० । इस जम्बूद्वीप में दो सौ कांचनक पर्वत कहे गये हैं २००। ४५५ - पउमप्पभे णं अरहा अड्डाइज्जाई धणुसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था । पद्मप्रभ अर्हत् अढ़ाई सौ धनुष ऊंचे थे 1 ४५६ - असुरकुमाराणं देवाणं पासायवडिंसगा अड्डाइज्जाइं जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता २५० असुरकुमार देवों के प्रासादावतंसक अढ़ाई सौ योजन ऊंचे कहे गये हैं २५० । ४५७- - सुमई णं अरहा तिण्णि धणुसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था । अरिट्ठनेमी णं अरहा तिणि वाससयाई कुमारवासमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए । . सुमति अर्हत् तीन सौ धनुष ऊंचे थे। अरिष्टनेमि अर्हन् तीन सौ वर्ष कुमारवास में रह कर मुंडित हो अगार से अनगारिता में प्रव्रजित हुए । ४५८ – वेमाणियाणं देवाणं विमाणपागारा तिण्णि तिण्णि जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता । वैमानिक देवों के विमान - प्राकार ( परकोटा) तीन-तीन सौ योजन ऊंचे हैं। ४५९ - समणस्स [ णं ] भगवओ महावीरस्स तिन्नि सयाणि चोद्दसपुव्वीणं होत्था । पंचधणुसइयस्स णं अंतिमसारीरियस्स सिद्धिगयस्स सातिरेगाणि तिणि-धसा जीवप्पदेसोगाहणा पण्णत्ता ३०० ।

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