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[समवायाङ्गसूत्र ___ सौधर्म, ईशान और ब्रह्मकल्प इन तीनों कल्पों में चौसठ (३२+२८+४=६४) लाख विमानावास
३२८-सव्वस्स वि य णं रन्नो चाउरंतचक्कवट्ठिस्स चउसट्ठिलट्ठीए महग्घे मुत्तामणिहारे पण्णत्ते।
सभी चातुरन्त चक्रवर्ती राजाओं के चौसठ लड़ी वाला बहुमूल्य मुक्ता-मणियों का हार कहा गया
॥ चतुःषष्टिस्थानक समवाय समाप्त॥
पञ्चषष्टिस्थानक-समवाय ३२९ –जंबुद्दीवे णं दीवे पणसद्धिं सूरमंडला पण्णत्ता। जम्बूद्वीप नामक इस द्वीप में पैंसठ सूर्यमण्डल (सूर्य के परिभ्रमण के मार्ग) कहे गये हैं।
३३०-थेरे णं मोरियपुत्ते पणसट्ठिवासाई अगारमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए।
स्थविर मौर्यपुत्र पैंसठ वर्ष अगारवास में रहकर मुंडित हो अगार त्याग कर अनगारिता में प्रव्रजित
हुए।
३३१ –सोहम्मवडिंसियस्स णं विमाणस्स एगमेगाए बाहाए पणसटुिं पणसढि भोमा पण्णत्ता। सौधर्मावतंसक विमान की एक-एक दिशा में पैंसठ-पैंसठ भवन कहे गये हैं।
॥पञ्चषष्टिस्थानक समवाय समाप्त।
षट्पष्टिस्थानक-समवाय ३३२–दाहिणड्डमाणुस्सखेत्ताणं छावढेि चंदा पभासिंसु वा, पभासंति वा, पभासिस्संति वा। छावटुिं सूरिया तविंसु वा, तवंति वा, तविस्संति वा। उत्तरड्ढमाणुस्सखेत्ताणं छावटुिं चंदा पभासिंसुवा, पभासंति वा, पभासिस्संति वा, छावटुिं सूरिया तविंसुवा, तवंति वा, तविस्संति वा।
दक्षिणार्ध मानुषक्षेत्र को छियासठ चन्द्र प्रकाशित करते थे, प्रकाशित करते हैं और प्रकाशित करेंगे। इसी प्रकार छियासठ सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपेंगे। उत्तरार्ध मानुषक्षेत्र को छियासठ चन्द्र प्रकाशित करते थे, प्रकाशित करते हैं और प्रकाशित करेंगे। इसी प्रकार छियासठ सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपेंगे।
विवेचन-जम्बूद्वीप में दो चन्द्र, दो सूर्य हैं, लवणसमुद्र में चार-चार चन्द्र और चार सूर्य हैं, धातकीखण्ड में बारह चन्द्र और बारह सूर्य हैं । कालोदधिसमुद्र में बयालीस चन्द्र और बयालीस सूर्य हैं। पुष्करार्ध में बहत्तर चन्द्र और बहत्तर सूर्य हैं। उक्त दो समुद्रों तथा आधे पुष्करद्वीप को अढ़ाई द्वीप कहा