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द्वात्रिंशत्स्थानक समवाय
योगसंग्रह, देवेन्द्र, कुन्थु अर्हत् के केवली, सौधर्मकल्प में विमान, रेवती नक्षत्र के तारे, नाट्य के प्रकार, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि ।
त्रयस्त्रिंशत्स्थानक समवाय
आसातनाएँ, चमरेन्द्र के भौम, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि ।
चतुस्त्रिंशत्स्थानक समवाय
तीर्थंकरों के अतिशय, चक्रवर्ती- विजय, चमरेन्द्र के भवनावास, नारकावास ।
पंचत्रिंशत्स्थानक समवाय
षट्त्रिंशत्स्थानक समवाय
उत्तराध्ययन, चमरेन्द्र की सुधर्मा सभा, महावीर की आर्यिकाएँ, सूर्य की पौरुषी- छाया । सप्तत्रिंशत्स्थानक समवाय
सत्यवचन के अतिशय, कुन्थु अर्हत् की अवगाहना, दत्त वासुदेव की अवगाहना, नन्दन बलदेव की अवगाहना, माणवक चैत्यस्तंभ, नारकावाससंख्या ।
अष्टत्रिंशत्स्थानक समवाय
पार्श्व जिन की आर्यिकाएँ, हैमवत ऐरण्यवत की जीवाओं का धनुःपृष्ठ, मेरु के दूसरे काण्ड की ऊँचाई, विमानविभक्ति के उद्देशनकाल ।
एकोनचत्वारिंशत्स्थानक समवाय
नमि जिन के अवधिज्ञानी मुनि, नारकावास, कर्मप्रकृतियाँ |
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कुन्थुनाथ के गणधर, हैमवत - हैरण्यवत की जीवा, विजयादि विमानों के प्रकार, क्षुद्रिका विमानविभक्ति के उद्देशनकाल, सूर्य की छाया ।
चत्वारिंशत्स्थानक समवाय
एकचत्वारिंशत्स्थानक समवाय
नमि जिन की आर्यिकाएँ, नारकावास, महाविमानविभक्ति के प्रथम वर्ग के उद्देशनकाल । द्विचत्वारिंशत्स्थानक समवाय
महावीर की श्रामण्यपर्याय, आवासपर्वतों का अन्तर, कालोद समुद्र में चन्द्र-सूर्य, भुजपरिसर्पों की स्थिति, नामकर्म की प्रकृतियाँ, लवणसमुद्र की वेला, विमानविभक्ति के द्वितीय वर्ग के उद्देशनकाल, पंचम - षष्ठ आरों का कालपरिमाण ।
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त्रिचत्वारिंशत्स्थानक समवाय
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अरिष्टनेमि की आर्यिकाएँ, मंदरचूलिका, भूतानन्द के भवनावास, विमानविभक्ति के तृतीय वर्ग के उद्देशनकाल, सूर्य की छाया, महाशुक्र कल्प के विमानावास ।
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कर्मविपाक अध्ययन, नारकावास, धर्म जिन की अवगाहना, मंदर पर्वत का अन्तर, नक्षत्र, महा विमानविभक्ति के पंचम वर्ग के उद्देशनकाल ।