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अष्टपंचाशत्स्थानक समवाय
नारकावास, कर्मप्रकृतियाँ, गोस्तूभ और वडवामुख महापाताल आदि का अन्तर। एकोनषष्ठिस्थानक समवाय
चन्द्रसंवत्सर, संभव जिन का गृहवास, मल्ली जिन के अवधिज्ञानी मुनि षष्टिस्थानक समवाय
सूर्य की मण्डलपूर्ति, लवणसमुद्र का अग्रोदक, विमल जिन की अवगाहना, बलीन्द्र
के और ब्रह्म देवेन्द्र के सामानिक देव, सौधर्म-ईशान कल्प के विमानावास। एकषष्टिस्थानक समवाय
ऋतुमास, मन्दर पर्वत का प्रथम काण्ड, चन्द्रमण्डल। द्विषष्टिस्थानक समवाय
पंचसांवत्सरिक युग में पूर्णिमाएँ-अमावस्याएँ, वासुपूज्य जिन के गण-गणधर, चन्द्र-कलाओं
की वृद्धि-हानि, सौधर्म-ईशान कल्प के विमानावास, वैमानिक-विमानप्रस्तट। त्रिषष्टिस्थानक समवाय
१२२ ऋषभ जिन का महाराज-काल, हरिवास-रम्यकवास के मनुष्यों का यौवन, निषध
नीलवन्त पर्वत पर सूर्योदय। चतुःषष्टिस्थानक समवाय
१२३ अष्टाष्टमिका भिक्षुप्रतिमा, असुरकुमारावास, दधिमुख पर्वत, विमानावास। पंचषष्टिस्थानक समवाय
१२४ जम्बूद्वीप में सूर्यमण्डल, मौर्यपुत्र का गृहवास, सौधर्मावतंसक विमान की एक-एक दिशा
में भवन। षट्षष्टिस्थानक समवाय
१२४ मनुष्यक्षेत्र में चन्द्र-सूर्य, श्रेयांस जिन के गण और गणधर, आभिनिबोधिक ज्ञान की उत्कृष्ट स्थिति। सप्तषष्टिस्थानक समवाय
१२५ नक्षत्रमास, हैमवत-ऐरण्यवत की भुजाएँ, मन्दर पर्वत, नक्षत्रों का सीमा विष्कम्भ। अष्टषष्टिस्थानक समवाय
१२६ धातकीखण्ड में विजय, राजधानियाँ, तीर्थंकर, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव, विमल जिन की
श्रमणसम्पदा। एकोनसप्ततिस्थानक समवाय
समयक्षेत्र में वर्ष और वर्षधर पर्वत, मंदर पर्वत का अन्तर, कर्म-प्रकृतियाँ। सप्ततिस्थानक समवाय
१२८ श्रमण भ. महावीर का वर्षावास, पार्श्व जिन की श्रमण पर्याय, वासुपूज्य, जिन की अवगाहना, मोहनीय कर्म की स्थिति, माहेन्द्र देवराज के सामानिक देव।
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