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हम यहां पर संक्षेप में समवायांग में आये हुए विषयों के साथ सूर्यप्रज्ञप्ति की तुलना करेंगे।
समवायांग के प्रथम समवाय में तेवीस, चौबीस और पच्चीसवें सूत्र में जिन आर्द्रा, चित्रा और स्वाति नक्षत्रों का वर्णन है, वह वर्णन सूर्यप्रज्ञप्ति६९२ में भी है।
दूसरे समवाय के चौथे से सातवें समवाय तक पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपद के तारों का वर्णन है। वह सूर्यप्रज्ञप्ति६९३ में भी प्राप्त है।
तीसरे समवाय के छठे सूत्र से लेकर बारहवें सूत्र तक मृगशिर, पुष्य, जेष्ठा, अभिजित, श्रवण, अश्विनी, भरणी आदि नक्षत्रों का वर्णन सूर्यप्रज्ञप्ति६९४ में भी मिलता है।
चौथे समवाय के सातवें, आठवें और नौवें सूत्र में अनुराधा, पूर्वाषाढा और उत्तराषाढा नक्षत्रों के चार तारों का वर्णन है, सूर्यप्रज्ञप्ति६९५ में भी उन तारों का वर्णन दर्शनीय है।
पांचवें समवाय के नौवें सूत्र से लेकर तेरहवें सूत्र तक रोहिणी, पुनर्वसु, हस्त, विशाखा, धनिष्ठा नक्षत्रों के पांच-पांच तारों का वर्णन है, सूर्यप्रज्ञप्ति६९६ में भी वह वर्णन इसी तरह मिलता है।
छठे समवाय के सातवें एवं आठवें सूत्र में कृत्तिका, अश्लेषा नक्षत्र के छह-छह तारे बताये हैं तो सूर्यप्रज्ञप्ति:९७ में भी उनका उल्लेख है।
सातवें समवान के सातवें सूत्र से लेकर ग्यारहवें सूत्र तक मघा, कृत्तिका, अनुराधा और धनिष्ठा नक्षत्रों के तारे तथा उनके द्वारों का वर्णन है तो सूर्यप्रज्ञप्ति६९८ में भी वह मिलता है।
आठवें समवाय के नौवें सूत्र में "अट्ठनक्खत्ता चंदेणं....." है तो सूर्यप्रज्ञप्ति६९९ में भी चन्द्र के साथ प्रमर्द योग करने वाले कृत्तिका, रोहिणी, पुनर्वसु, मघा, चित्ता, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा इन आठ नक्षत्रों का वर्णन है।
नौवें समवाय के पांचवें, छठे और सातवें सूत्र में अभिजित् नक्षत्र का चन्द्र के साथ योग होने का वर्णन है तथा रत्नप्रभा पृथ्वी से नौ सौ योजन ऊंचे तारा हैं, यह वर्णन सूर्यप्रज्ञप्ति७०० में भी है। समवायांग और सूर्यप्रज्ञप्ति में अन्तर इतना ही है कि समवायांग में अभिजित् का चन्द्र के साथ योगकाल ९ मुहूर्त का बताया है तो सूर्यप्रज्ञप्ति ०१ में १२ मुहूर्त का बताया है।
ग्यारहवें समवाय के दूसरे, तीसरे और पांचवें सूत्र में ज्योतिष चक्र के प्रारंभ का वर्णन है और मूल नक्षत्र के ग्यारह तारे बताये हैं, यह वर्णन सूर्यप्रज्ञप्ति७०२ में भी मिलता है। ६९२. सूर्यप्रज्ञति-प्राभृत १०, प्रा. ९ ६९३. सूर्यप्रज्ञति-प्राभृत १०, प्रा. ९ सूत्र ४२ ६९४. सूर्यप्रज्ञति-प्राभृत १०, प्रा. ९ सूत्र ४२ ६९५. सूर्यप्रज्ञति-प्राभृत १०, प्रा. ९ सूत्र ४२ ६९६. सूर्यप्रज्ञति-प्राभृत १०, प्रा. ९ सूत्र ४२
सूर्यप्रज्ञति-प्राभृत १०, प्रा. ९ सूत्र ४२ ६९८. सूर्यप्रज्ञति-प्राभृत १०, प्रा. ९ सूत्र ४२ ९९. सूर्यप्रज्ञति-प्राभृत १०, प्रा. ९ सूत्र ४२ ७००. सूर्यप्रज्ञति-प्राभृत १०, प्रा. ११ सूत्र ४४ ७०१. सूर्यप्रज्ञप्ति-प्राभृत १०, प्रा. ११, सूत्र ४४ ७०२. सूर्यप्रज्ञप्ति-प्राभृत १८, सूत्र ९२
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