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एक परिशीलन
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वर्तमान युग में भी विचारकों ने योग पर गहन चिन्तन-मनन किया है, लेखनी चलाई है। यह सत्य है कि प्राधुनिक जैन विचारकों ने योग पर किसी स्वतंत्र एवं मौलिक ग्रन्थ की रचना नहीं की, परन्तु पुरातन ग्रन्थों का आधुनिक ढंग से सम्पादन एवं अनुवाद अवश्य किया है। और उनका यह कार्य भी इतना महत्वपूर्ण है कि उसके अध्ययन से योग-साधना के प्रारम्भ से लेकर अब तक के विकास का सांगोपांग परिचय मिल जाता है। अतः यहाँ हम कुछ अाधुनिक सम्पादकों एवं अनुवादकों द्वारा सम्पादित एवं अनुवादित ग्रन्थों का नाम निर्देश कर रहे हैं, जिससे पाठक उनसे लाभ उठा सकें ।
ग्रन्थ
लेखक
सम्पादक
१ योग-विशिका प्राचार्य हरिभद्र डा० सुखलाल संघवी २. योगदृष्टि-समुच्चय (गुज०) , डा० भगवानदास मेहता ३. योग-शतक ()
डा० इन्दुकला बहिन योग-शास्त्र (.) प्राचार्य हेमचन्द्र गोपालदास जीवाभाई पटेल ५. , (हिन्दी) , मुनि समदर्शी प्रभाकर
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