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योग-शास्त्र
अन्य मन्त्र
पञ्चवर्ण स्मरेन्मन्त्रं कर्म-निर्घातकं तथा ।
वर्णमालाञ्चितं मन्त्रं ध्यायेत् सर्वाभयप्रदम् ।। ४६ ।। पाठ कर्मों का नाश करने के लिए पंचवर्ण-पाँच अक्षर वाले मन्त्र का और सब प्रकार का अभय प्राप्त करने के लिए वर्णों की श्रेणी वाले मन्त्र का ध्यान करना चाहिए ।
१. पंचवर्ण मन्त्र-नमो सिद्धाणं । २. वर्णमालाञ्चित मन्त्र-ओं नमो अर्हते केवृलिने परमयोगिने
विस्फुदुरु-शुक्लध्यानाग्नि-निर्दग्धकर्म-बीजाय प्राप्तानन्त-चतुष्टयाय
सौम्याय शान्ताय मंगल-वरदाय अष्टादश-दोषरहिताय स्वाहा । ह्रींकार विद्या का ध्यान
ध्यायेत्सिताब्जं वक्त्रान्तरष्ट - वर्गी दलाष्टके ।
ओं नमों अरिहंताणमिति वर्णानपि क्रमात् ॥ ४७ ॥ केसराली स्वरमयीं सुधाबिन्दु - विभूषिताम् । कणिकां कर्णिकायां च चन्द्रबिम्बात्समापतत् ॥ ४८ ॥ संचरमाणं वक्त्रेण प्रभामण्डलमध्यगम् । सुधादीधितिसंकाशं मायाबीजं विचिन्तयेत् ।। ४६ ।। साधक को मुख के अन्दर आठ पंखुड़ियों वाले श्वेत कमल का चिन्तन करना चाहिए और उन पंखुड़ियों में पाठ वर्ग-अ, क, च, ट, त, प, य, श,-स्थापित करने चाहिए तथा 'त्रों नमो अरिहंताणं' इन पाठ अक्षरों में से एक-एक अक्षर को एक-एक पंखुड़ी पर स्थापित करना चाहिए। उस कमल की केसरा के चारों तरफ के भागों में अ, आ आदि सोलह अक्षर स्थापित करने चाहिए और मध्य की कणिका को अमृत के बिन्दुओं से विभूषित करना चाहिए। तत्पश्चात् चन्द्रमंडल
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