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योग-शाम - वे यहाँ अत्युत्तम वंश में जन्म लेते हैं और उनका कोई मनोरथ कभी खण्डित नहीं होता। वे नित्य उत्सव के कारण मनोरम भोगों का उपभोग करते हैं। . ___ तत्पश्चात् विवेक का आश्रय लेकर, समस्त सांसारिक भोगों से विरक्त होकर और ध्यान के द्वारा समस्त कर्मों का ध्वंस करके अव्यय पद अथवा निर्वाण पद को प्राप्त करते हैं ।
टिप्पण-धर्म-ध्यान का पारिलौकिक फल देवलोक का प्राप्त होना जो बतलाया गया है, वह ऐसे योगियों की अपेक्षा से ही बतलाया गया है जिन्होंने ध्यान की पराकाष्ठा प्राप्त नहीं की और इस कारण जो अपने पुण्य-कर्मों का क्षय नहीं कर पाए हैं। ध्यान की पराकाष्ठा पर पहुंचने वाले योगी उसी भव से मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं ।
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