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योग-शास्त्र खद्योतद्युतिवर्णानि चत्वारिच्छदनानि तुः ।
प्रत्येकं तत्र दृश्यानि स्वांगुलीविनिपीडनात् ॥ १२१ ।। गुरु के उपदेश के अनुसार अपनी उंगली से आँख के विशिष्ट भाग को दबाने से प्रत्येक कमल की चार पांखुड़ियाँ जुगनू की तरह चमकती हुई दिखाई देती हैं, इन्हें देखना चाहिए ।
सोमाधो भ्र लतापाङ्गघ्राणान्तिकदलेषु तु।
दले नष्ट क्रमान्मृत्युः षत्रियुग्मैकमासतः ।। १२२ ।।। चन्द्र सम्बन्धी कमल में, चार पांखुड़ियों में से यदि नीचे की पंखुड़ी दिखाई न दे तो छह महीने में मृत्यु होती है, भ्रकुटी के समीप की पंखुड़ी परिलक्षित न हो तो तीन मास में, आँख के कोने की पंखुड़ी दिखाई न दे तो दो मास में, और नाक के पास की पंखुड़ी दिखाई न पड़े तो एक मास में मृत्यु होती है।
अयमेव क्रमः पद्म भानवीये यदा भवेत् ।
दश-पञ्च-त्रि-द्विदिनैः क्रमान्मृत्युस्तदा भवेत् ॥ १२३ ।। सूर्य सम्बन्धी कमल में इसी क्रम से पांखुड़ियाँ दिखाई न देने पर क्रमशः दस, पाँच, तीन और दो दिन में मृत्यु होती है। अर्थात् दाहिनी आँख को गुरु-उपदेशानुसार दबाने से सूर्य सम्बन्धी कमल की भी चार पांखुड़ियाँ दिखाई देती हैं। उनमें से नीचे की दिखाई न दे तो दस दिन में, ऊपर की दिखाई न दे तो पाँच दिन में, आँख के कोने की तरफ की दिखाई न दे तो तीन दिन में और नाक की तरफ की दिखाई न दे तो दो दिन में मृत्यु होती है।
एतान्यपीड्यमानानि द्वयोरपि हि पद्मयोः ।
दलानि यदि वीक्ष्येत् मृत्युदिनशतात्तदा ॥ १२४ ।। यदि आंख को अंगुली से दबाये बिना दोनों कमलों की पांखुड़ियाँ दिखाई न दें तो सौ दिन में मृत्यु होती है ।
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