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योग- शास्त्र
यदि काक जूते को, हाथी- अश्व आदि किसी वाहन को अथवा छत्र, शस्त्र, छाया — परछाई, शरीर या केश को चुम्बन - स्पर्श करले तो समझना चाहिए कि मृत्यु सन्निकट है ।
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यदि आँखों से आँसू बहाती हुई गाय अपने पैरों के द्वारा जोर से पृथ्वी को खोदे, तो उसके स्वामी को रोग और मृत्यु का शिकार होना
पड़ता है ।
अनातुरकृते ह्येतत् शकुनं परिकीर्तितम् । अधुनाऽऽतुरमुद्दिश्य शकुनं परिकीर्त्यते ॥ १८२ ॥
ऊपर कहे गये शकुन नीरोग पुरुष के काल-निर्णय के लिए हैं । अब बीमार व्यक्ति को लक्ष्य करके शकुन का विचार करते हैं ।
रोगी के काल का निर्णय
दक्षिणस्यां वलित्वा चेत् श्वा गुदं लेट्युरोऽथवा । लांगूलं वा तदा मृत्युरेक द्वि-त्रिदिनैः क्रमात् ॥ १८३ ॥ शेते निमित्तकाले चेत् श्वा संकोच्याखिलं वपुः 1 धूत्वा कर्णौ वलित्वाङ्ग धुनोत्यथ ततो मृतिः ॥ १८४ ॥ यदि व्यात्तमुखोलालां मुञ्चन् संकोचितेक्षणः । अंगं संकोच्य शेते श्वा तदा मृत्युर्न संशयः ॥ १८५ ॥
जब रोगी मनुष्य अपनी आयु के विषय में शकुन देख रहा हो, उस समय यदि कोई कुत्ता या कुत्ती दक्षिण दिशा में जाकर अपनी गुदा को चाटे तो उसकी एक दिन में, हृदय को चाटे तो दो दिन में और पूंछ को चाटे तो तीन दिन में मृत्यु होती है ।
जब कभी रोगी निमित्त देख रहा हो, उस समय यदि कुत्ता अपने सम्पूर्ण शरीर को सिकोड़ कर सोता हो अथवा कानों को फड़फड़ा रहा हो या शरीर को मोड़कर हिला रहा हो तो रोगी की मृत्यु होती है ।
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