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पंचम प्रकाश
२११ सुषुम्णा-वाहभागे द्वौ शिशू रिक्ते नपुंसकम् ।। संक्रान्तौ गर्भहानिः स्यात् समे क्षेममसंशयम् ।। २४६ ।। यदि कोई व्यक्ति सामने खड़ा होकर गर्भ के सम्बन्ध में प्रश्न करे और उत्तरदाता की बायीं या दाहिनी नासिका चल रही हो तो पुत्र का जन्म होता है, ऐसा कहना चाहिए। और यदि वह रिक्त नासिका की ओर बगल में खड़ा होकर प्रश्न करे तो पुत्री का जन्म होता है, ऐसा कहना चाहिए।
यदि प्रश्न करते समय सुषुम्णा नाड़ी चलती हो और प्रश्नकर्ता सन्मुख खड़ा हो तो दो बालकों का जन्म होता है, ऐसा कहना चाहिए । यदि सुषुम्णा नाड़ी को छोड़कर आकाश-मंडल में पवन चले जाने पर प्रश्न किया जाए, तो नपुंसक का जन्म होता है, और आकाश-मंडल से दूसरी नाड़ी में संक्रमण करते समय प्रश्न किया जाए, तो गर्भ का नाश होता है, ऐसा कहना चाहिए। यदि सम्पूर्ण तत्त्व का उदय होने पर प्रश्न किया जाए, तो निस्सन्देह क्षेमकुशल और मनोवांछित फल की सिद्धि होती है। मतान्तर -
चन्द्रे स्त्री पुरुषः सूर्ये मध्यभागे नपुसकम् ।
प्रश्नकाले तु विज्ञेयमिति कैश्चिन्निगद्यते ॥ २४७ ।। यदि प्रश्न करते समय चन्द्र स्वर चल रहा हो और प्रश्नकर्ता सन्मुख खड़ा होकर प्रश्न कर रहा हो तो पुत्री का जन्म होता है, सूर्य स्वर चल रहा हो तो पुत्र का जन्म होता है और सुषुम्णा नाड़ी चल रही हो तो नपुंसक का जन्म होता है। कई प्राचार्यों की ऐसी मान्यता है । पवन को पहचानने की विधि
यदा न ज्ञायते सम्यक् पधनः सञ्चरन्नपि । पीतश्वेतारुणश्यामैनिश्चेतव्याः स बिन्दुभिः ॥ २४८ ॥
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