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योग-शास्त्र
नाद-स्वर सुनाई दे, तो उसकी पाँच मास के अन्त में मृत्यु होती है, इसमें सन्देह नहीं है ।
शिरो वेगात् समारुह्य कृकलासो व्रजन् यदि ।
दध्याद्वर्ण-त्रयं पञ्च-मास्यन्ते मरणं तदा ॥ १५३ ॥ यदि कभी कोई गिरगिट वेग के साथ मस्तक पर चढ़ जाए और जाते-जाते तीन बार रंग बदले, तो उस व्यक्ति की पांच मास के अन्त में मृत्यु होती है।
वक्री भवति नासा चेद्वतु ली भवतो दृशौ ।
स्वस्थानाद् भृश्यतः कौँ चतुर्मास्यां तदा मृतिः ॥ १५४॥ यदि किसी व्यक्ति की नाक टेढ़ी हो जाए, आँखें गोल हो जाए और अन्य अंग अपने-अपने स्थान से ढीले पड़ जाएँ तो उसकी चार मास में मृत्यु होती है।
कृष्णं कृष्ण-परीवारं लोह-दण्डधरं नरम् ।
यदा स्वप्ने निरीक्ष्येत मृत्युर्मासस्त्रिभिस्तदा ॥ १५५ ।। यदि किसी व्यक्ति को स्वप्न में काले वर्ण का, काले परिवार का और लोहे के दण्ड को धारण करने वाला मनुष्य दिखाई दे, तो उसकी तीन महीने में मृत्यु होती है।
इन्दुमुष्णं रवि शीतं छिद्र भूमौ रवावपि । जिह्वां श्यामां मुखं कोकनदाभं च यदेक्षते ।। १५६ ।। तालुकम्पो मनं शोको वर्णोऽङ्ग नेकधा यदा ।
नाभेश्चाकस्मिकी हिक्का मृत्युमासद्वयात्तदा ॥ १५७ ।। यदि किसी व्यक्ति को चन्द्रमा उष्ण, सूर्य ठंडा, जमीन और सूर्यमण्डल में छिद्र, अपनी जीभ काली, मुख लाल कमल के समान दिखाई दे और तालु में कम्पन हो, निष्कारण मन में शोक हो, शरीर में अनेक
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