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प्रथम प्रकाश
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४. पापों से डरने वाला हो । ५. प्रसिद्ध देशाचार का पालन करे । ६. किसी की और विशेष रूप से राजा आदि की निन्दा न करे। ७. ऐसे स्थान पर घर बनाए जो न एकदम खुला हो और न .. एक दम गुप्त भी हो।
८. घर में बाहर निकलने के द्वार अनेक न हों। ६. सदाचारी पुरुषों की संगति करता हो। १०. माता-पिता की सेवा-भक्ति करे। ११. रगड़े-झगड़े और बखेड़े पैदा करने वाली जगह से दूर रहे,
अर्थात् चित्त में क्षोभ उत्पन्न करने वाले स्थान में न रहे। १२. किसी भी निन्दनीय काम में प्रवृत्ति न करे। १३. प्राय के अनुसार व्यय करे । १४. अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार वस्त्र पहने । १५. बुद्धि के आठ गुणों से युक्त होकर प्रतिदिन धर्म-श्रवण करे। १६. अजीर्ण होने पर भोजन न करे । १७. नियत समय पर सन्तोष के साथ भोजन करे । १८. धर्म के साथ अर्थ-पुरुषार्थ, काम-पुरुषार्थ और मोक्ष-पुरुषार्थ
का इस प्रकार सेवन करे कि कोई किसी का बाधक न हो। १९. अतिथि, साधु और दीन-असहाय जनों का यथायोग्य
- सत्कार करे। २०. कभी दुराग्रह के वशीभूत न हो।
१ शुश्रूषा श्रवणं चैव, ग्रहणं धारणं तथा।..
ऊहोऽपोहोऽर्थविज्ञानं, तत्त्वज्ञानञ्च धीगुणाः ।। श्रवण करने की इच्छा, श्रवण, ग्रहण, धारण, चिन्तन, अपोह, अर्थज्ञान और तत्त्वज्ञान-यह बुद्धि के पाठ गुण हैं ।
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