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जीवन रेखा
परम श्रद्धेय मुनि श्री मांगीलालजी म.' का जन्म वि० सं० १९४० भाद्रपद शुक्ला दशमी को राजस्थान की किशनगढ़ स्टेट के दादिया गाँव में हुआ था। श्री हजारीमल जी तातेड़ आपके पूज्य पिता थे और श्रीमती पुष्पादेवी आपकी माता थीं। आप तीन भाई थे-१. श्री जवाहर सिंह जी, २. श्री मोतीलाल जी, और ३. रघुनाथसिंह जी । आप सबसे छोटे थे। जन्म के कुछ दिन बाद आपको मांगीलाल के नाम से पुकारने लगे और अन्त तक आप इसी नाम से प्रसिद्ध रहे । संयम स्वीकार करने के बाद भी आपका नाम मुनि श्री मांगीलालजी महाराज ही रहा। बाल्य-काल .
बाल्य-काल जीवन का सुखद एवं सुहावना समय होता है। यह जीवन का स्वर्णिम काल होता है। इस समय मनुष्य दुनिया की समस्त चिन्ताओं एवं परेशानियों से मुक्त होता है और विषय-विकारों से भी कोसों दूर होता है। परन्तु, इस सुहावने समय में आपको अपने पूज्य पिता श्री का वियोग सहना पड़ा। यह सौभाग्य की बात है कि माता के अगाध स्नेह एवं प्यार दुलार में आपका जीवन विकसित होता रहा।
चौंतीस वर्ष की अवस्था तक आपको माता श्री का सान्निध्य बना रहा, . प्यार-दुलार मिलता रहा। . १. मेरे (लेखिका के) पूज्य-पिताजी हैं।
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