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पुण्य : कब और कहाँ तक उपादेय एवं हेय? ६८१ ___ "वस्तुतः पुण्य और पाप ही इष्टसंयोग और इष्टवियोग के हेतु हैं। अन्य पदार्थ तो केवल निमित्त मात्र हैं। अतः हे पण्डित जनो ! आप पवित्र पुण्यराशि के भाजन बनें, अर्थात् निर्मल पुण्य का उपार्ज न करें।" '.. कुरलकाव्य में तो पुण्य कार्य की अत्यधिक प्रेरणा देते हुए कहा है-“अपनी पूरी शक्ति और पूर्ण उत्साह के साथ सदैव सत्कार्य (पुण्यकार्य) करते रहो।" .. ___. अध्यात्म शास्त्र के मार्मिक आचार्य पद्मनन्दि पुण्य संचय की प्रेरणा देते हुए कहते हैं-"पुण्य के होने पर दूर से भी अभीष्ट वस्तु का लाभ हो जाता है, जबकि पुण्य के बिना, अर्थात्-पापोदय होने पर हाथ में रखी हुई वस्तु भी उपभोग में नहीं आ सकती। पुण्य को छोड़कर अन्य सामग्री निमित्त मात्र है। अतः हे विवेकीजनो ! निर्मल पुण्य राशि के पात्र बनो, अर्थात्-पवित्र पुण्यराशि का संचय करो।" - आगे वे कहते हैं-"जो व्यक्ति अपने घर से दूसरे गाँव या परदेश जाते समय बढ़िया पाथेय (भाता) साथ में रखता है वह सुखी रहता है। इसी प्रकार इस जन्म को छोड़कर जन्मान्तर (परलोक) जाते समय भी व्रत और दान से उपार्जित शुभ (पुण्य) साथ में होगा तो, वही एकमात्र सुख का हेतु होगा।"
उनका यह कथन भी है-“हे जीव ! तेरा धन तेरे साथ एक कदम भी नहीं जाएगा। बन्धु वर्ग भी श्मशान तक जाकर लौट आएँगे।तेरे साथ में तो तेरा एकमात्र मित्र पुण्य ही दूर तक साथ जाएगा। अतः उस पुण्य को प्राप्त करो।" पुण्यफल और पुण्यफल कथा की उपादेयता पर विचार - धवला में पुण्य के फल के सम्बन्ध में एक प्रश्नोत्तरी प्रस्तुत की गई है। प्रश्न उठाया गया है-"पुण्य के उत्कृष्ट फल कौन-कौन से हैं ?" उत्तर दिया गया है-तीर्थकर,
१. (क) “पावोदएण अत्यो हत्यपत्तो वि णस्सदि णरस्स।
दुरादवि सपुण्णस्स एदि अत्थो अयत्तेण॥" -भगवती आराधना १७३१ (ख) “दूरादभीष्टमभिगच्छति पुण्ययोगात्।
पुण्याद्विना करतलस्थमपि प्रयाति॥" अन्यत्परं प्रभवतीह निमित्तमात्रं, पात्रं बुधा ! भजत निर्मलपुण्यराशेः॥
- पद्मनंदि पंचविंशतिका में दानपंचाशत् १0 (ग) ग्रामान्तरं व्रजति यः स्वगृहाद् गृहीत्वा, पाथेयमुन्नततरं स सुधी मनुष्यः। . जन्मान्तरं प्रविशतोऽस्य तथा व्रतेन, दानेन चार्जितशुभं सुखहेतुरेकम्॥
. -पद्मनन्दि पंचाविंशतिका २६ (घ) नार्थः पदात्पदमपि व्रजतित्त्वदीयो व्यावर्तते पितृवनादपि बन्धुवर्गः। ... दीर्घ पथि प्रवसतो भवतः सखैक, पुण्यं भविष्यति ततः क्रियतां तदेव॥ -वही, ४३
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