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८३० कर्म-विज्ञान : भाग-२ : कर्मों का आनव और संवर (६)
जुड़ी रहती हैं। ये चारों क्रियाएँ अथवा क्रियात्मक वृत्तियाँ इतनी तेजी से एक-दूसरे के बाद आती हैं, कि वे ऐसी प्रतीत होती हैं, मानों चारों एक साथ ही हों।'
मन को पूर्णतया एकाग्र करने हेतु क्रमशः पाँच अवस्थाएँ
मन की शक्ति किस ओर प्रवृत्त हो रही है ? अनिष्ट को निरुद्ध और निगृहीत करने तथा इसकी ओर प्रवृत्त करने तथा इससे भी ऊपर उठने के लिए मन को पूर्णतया लक्ष्य में एकाग्र करने का अभ्यास करने हेतु निम्नोक्त पाँच अवस्थाओं में से किस अवस्था में मन प्रकट हो रहा है ? इसकी जाँच-पड़ताल करते रहना चाहिए। वे पाँच अवस्थाएँ. हैं - क्षिप्त, मूढ़, विक्षिप्त, एकाग्र और निरुद्ध ।
स्वामी विवेकानन्द कहते हैं - क्षिप्त अवस्था में मन चारों ओर बिखर जाता है। और कर्म वासना प्रबल रहती है, इस अवस्था में मन की प्रवृत्ति केवल सुख और दुख ( आनन्द नहीं) इन दो भावों में (आर्तध्यान में) प्रकाशित होती रहती है। मूढ़ अवस्था तमोगुण प्रधान होती है। इसमें मन की प्रवृत्ति सिर्फ दूसरों का अनिष्ट सोचने करने (रौद्र ध्यान) में होती है। विक्षिप्त (क्षिप्त से विशिष्ट) अवस्था वह है, जब मन केन्द्र (लक्ष्य) की ओर जाने का प्रयत्न करता है। यहाँ पर भाष्यकार कहते हैं-विक्षिप्त अवस्था देवों के लिए तथा मूढ़ावस्था असुरों के लिए स्वाभाविक होती है। एकाग्र अवस्था तभी होती है, जब मन निरुद्ध होने के लिए प्रयत्न करता है और निरुद्ध अवस्था ही हमें समाधि में ले जाती है।
मनः संवर की साधना के लिए योग्य-अयोग्य अवस्था
सामान्यतया मन 'मूढ़' और 'क्षिप्त' अवस्था में रहता है। क्षिप्त अवस्था में वह चंचलता का अनुभव करता है तथा मूढ़ अवस्था में शिथिल, अवसादमग्न एवं किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है। मनः संवर की साधना में इसी मन को क्रमशः विक्षिप्त और एकाग्र किया जाता है। मन को एकाग्र करना ही मनोनिग्रह का समस्त प्रयोजन है। मनः संवर की दिशा में यहीं से प्रस्थान प्रारम्भ होता है।
मानसिक एकाग्रता के अभ्यास के लिए विविध विधियाँ आध्यात्मिक जगत् में तथा मनोविज्ञान एवं योगविज्ञान के क्षेत्र में प्रचलित हैं। उनका वर्णन अगले प्रकरण में किया जाएगा। यहाँ तो इतना ही विवक्षित है कि एकाग्रता के अभ्यास और विकास द्वारा मन की शक्तियों का नियोजन उत्कृष्ट एवं चरम लक्ष्य की शुद्ध परिणति की ओर किया
मन और उसका निग्रह (स्वामी बुधानन्द) से भावांश ग्रहण पृ. ३२
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२. वही, पृ. ३३.
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