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जैन समाज के प्रतिभा पुरुष । उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म.
गुरु चरणों में रहकर विनय एवं समर्पण भावपूर्वक सतत ज्ञानाराधना करते हुए श्रुतसेवा के प्रति सर्वात्मना समर्पित होने वाले प्रज्ञापुरुष श्री देवेन्द्रमुनि जी का आन्तरिक जीवन अतीव निर्मल, सरल, विनम्र, मधुर और संयमाराधना के लिए जागरूक है। उनका बाह्य व्यक्तित्व उतना ही मन भावन, प्रभावशाली और शालीन है। उनके वाणी, व्यवहार में ज्ञान की गरिमा और संयम की सहज शुभ्रता परिलक्षित होती है।
आप संस्कृत, प्राकृत आदि भाषाओं के अधिकारी विद्वान हैं, आगम, न्याय, व्याकरण, दर्शन साहित्य, इतिहास आदि विषयों के गहन अध्येता हैं। चिन्तक और विचारक होने के साथ ही सिद्धहस्त लेखक हैं।
वि.सं. १९८८ धनतेरस को उदयपुर के सम्पन्न जैन परिवार में दिनांक ७.११.१९३१ को जन्म।
वि. सं. १९९७ गुरुदेव श्री पुष्करमुनि जी म. के सान्निध्य में भागवती जैन दीक्षा।
वि. सं. २०४४ वैशाखी पूर्णिमा (१३.५.१९८७) आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी म. द्वारा श्रमण संघ के . उपाचार्य पद पर मनोनीत।
विविध विषयों पर अब तक ३५० से अधिक लघु/बृहद् ग्रन्थों का सम्पादन/संशोधन/लेखन। ज्ञानयोग की साधना/आराधना में संलग्न एवं निर्मल साधक।
-दिनेश मुनि
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