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अक्षत' : अaण्ड चावल को अक्षत कहते हैं ।
व्रीहि: वर्षा ऋतु भारत में यह अत्यधिक प्रसिद्ध था ।
जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन
तण्डुल' : यह छिलका पृथक् किया हुआ चावल है ।
शालि : इसकी पौध लगाकर रोपाई करते हैं । यह हेमन्त ऋतु में पक कर तैयार होता है ।
कलम' : यह चावल पतला, सुगन्धित एवं स्वादिष्ट होता है ।
सामा' : यह भी बिना बोये, बिना प्रयास के वनों में उत्पन्न होने वाला निर्धनों एवं ऋषियों का खाद्यान्न है ।
उत्पादित चावल को व्रीहि कहा गया है । प्राचीन
साठी" : यह चावल वर्षा ऋतु में साठ दिन में पक कर तैयार हो जाता है । श्यामाक' : यह विशिष्ट प्रकार का धान्य है । कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तल में इसका प्रयोग किया है।"
कोदो ( कोद्रव ) " : यह साँवा जाति का मोटा चावल है। इसका प्रयोग प्रायः निर्धन व्यक्ति ही करते हैं ।
यव" : प्रारम्भ में इसका प्रयोग सामान्य अन्न के लिए किया जाता था, किन्तु बाद में यह जौ के लिए रूढ़ि बन गया है। मांगलिक अवसरों पर इसका प्रयोग होता है । प्राचीन भारत का यह विशिष्ट अन्न है ।
१.
२.
गोधूम १२ : उत्तरी भारत का यह प्रमुख खाद्यान है । पश्चिमी भारत में इसकी अत्यधिक उपज होती है ।
राजमाष" : एक विशेष प्रकार की उड़द है । इसे बर्वटी या अलसान्द्र या ऐसा भी कहते हैं । दाल की दृष्टि से यह उत्तम अन्न है ।
महा ११।१३५
वही ३।१८६, तुलनीय - सिद्धान्त कौमुदी प्रकरण २।३।४६
३.
वही ३७।६७
४. वही ४।६०; पद्म ५३।१३५
५. वही ३।१८६
६. वही ३३१८६
७.
वही ३।१८६ ८. वही ३।१८६
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६.
१०.
११.
१२.
१३.
अभिज्ञान शाकुन्तल ४ १४
महा ३।१८६, पद्म १३।६८
महा ३।१८६
महा ३।१८६; पद्म २२६, १०२ १०६
वही ३।१८७; वही २८
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