Book Title: Jain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Author(s): Deviprasad Mishra
Publisher: Hindusthani Academy Ilahabad
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४६२
जन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन
सप्तभंगीनय ५६
सुगति २५ सद्गृहित्व क्रिया ८८
सुघोषा २६५ सन्धि १८८, १६५
सुन्द ३०१ सम्यक् चारित्य ५७, १०३, १०४ ३४४, सुप्रीति क्रिया ६६ ३५२, ३५३, ३५४
सुरेन्द्रता क्रिया ८६ सम्यक् दर्शन ५७, १०३, १०४, ३४४ ।। सुश्रुत ५८ ३५२, ३५३, ३५४
सूत्रपद ६३ समवसरण १६, २७४, २७५, २७६ स्कन्ध ३४६ समताभाव ६०
स्याद्वाद ३६१ समानार्थत्व २८६
स्वगुरुस्थानावाप्ति क्रिया ८१ समिति ३७२
स्वर्णमाषक ३३२ समुदाय २८६
स्थान २६३ सल्लेखना ५६
स्थानलाभ क्रिया ८५ सश्छिद्र ३१२
स्वर २८४, २८५, २६३ सद्म २६५, २६६
स्वराज्य क्रिया ८३ स्रक १६० सागार ५४, ६४
हक्का ३०१ सामयिक ५६
हर्म्य २६७ सामाजिक उत्सव १७७
हरिद्राव (खिजाब) १६५ सामायिक लिपि २३६
हलवाहक ३२२, ३२५ सामान्याभिहित २८६
हार १५७, १५८, १५६, १६७ साम्राज्य क्रिया ८३, ८६
हिंसा ४३, ६०, ३४६, ३५४ सार्थवाह ४५, ४६, ३२८, ३२.६ हिंसावृत्ति ४३ सार्वभौम १८३
हिरण्य ३३२ सिद्ध ३४४, ३४५
हिरण्योत्कृष्टजन्मता क्रिया ८२ सिद्धमात्रिका लिपि २४०, २४१ हुंकार ३०१ सिवैलरी ४४, ४५
हेतुगुञ्जा ३०१ सीमान्तकमणि १५४
हैका ३०१ सुखोदय क्रिया ८२
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