Book Title: Jain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Author(s): Deviprasad Mishra
Publisher: Hindusthani Academy Ilahabad

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Page 554
________________ ५२० जन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन १४-समवसरण ८२. समवसरण के चैत्य वृक्ष की भूमि : (पृ० २७४-२७६) । ८३. समवसरण का एक दिशात्मक सामान्य भूमि : (पृ० २७४-२७६) । ८४. समवसरण का धूलिशाल कोट तथा उसका तोरण द्वार : (पृ० २७४-२७६)। ८५. समवसरण की गन्ध कुटी : (पृ० २७४-२७६) । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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