Book Title: Jain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Author(s): Deviprasad Mishra
Publisher: Hindusthani Academy Ilahabad

Previous | Next

Page 540
________________ जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन ७-आभूषण ३२. शुद्धा यष्टि : (पृ० १५७) इसमें मणि का प्रयोग नहीं होता था । ३३. तरल प्रबन्ध यष्टि : (पृ० १५६) इसमें सर्वत्र एक समान मोती लगे होते थे । ३४. अवघाटक यष्टि : (पृ० १५६ ) इसके मध्य में बड़ा मोती और क्रमशः घटते हुए छोटे-छोटे मोती होते थे। ३५. इन्द्रच्छन्दहार : (पृ० १५७) इसमें १००८ लड़ियाँ होती थीं। इसे जिनेन्द्र, इन्द्र तथा चक्रवर्ती धारण करते थे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569