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आर्थिक व्यवस्था
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गाँव को स्वावलम्बी पद्म पुराण में ग्रामों
का काम करके गाँव की आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे एवं बनाते थे । गाँव आत्मनिर्भर, सहयोगी एवं जनतंत्रीय होते थे । का अत्यन्त मनोरम चित्रण प्रस्तुत किया गया है । २ तत्कालीन आर्थिक व्यवस्था के मूलाधार निःसन्देह गाँव ही थे । यही कारण है कि गाँवों के उन्नत होने के साथ ही साथ पूरा देश उन्नत एवं समृद्ध था । यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि हमारे आलोचित जैन पुराणों के रचना काल में गांवों में जनतंत्रीय व्यवस्था थी ।
१. महा २६।१०६ - १२७ २.
पद्म २।३-३२
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