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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन
सम्मिलित मानते हैं । सर आर० जी० भण्डारकर के अनुसार उत्तरी कोंकण ही अपरान्तक था । शूर्पारक या आधुनिक सोपारा इसकी राजधानी थी । भगवान् इन्द्रजी के अनुसार भारत का पश्चिमी समुद्रांचल अपरान्तक या अपरान्तिक नाम से विख्यात था । "
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अश्मक र : राजशेखर ने इसकी स्थिति दक्षिण भारत में बतलायी है ।' डॉ० वासुदेव शरण अग्रवाल ने गोदावरी नदी से दक्षिण सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला तक अश्मक जनपद का विस्तार माना है और इसकी राजधानी प्रतिष्ठान बतलायी है । " रिज़ डेविड्स ने अश्मक को अवन्ती के ठीक उत्तर-पश्चिम में स्थित बतलाया है । "
अभिसार' : इसकी पहचान दर्वाभिसार के साथ की जा सकती है । इस जनपद के अन्तर्गत राजपुरी (रजोरी) का प्रदेश आता था ।
अर्धबर्बर : विजयार्ध पर्वत के दक्षिण और कैलाश पर्वत के उत्तर बीच में अर्धबर्बर देश आता था । "
आनर्त्त : यह काठियावाड़ में स्थित एक देश था । कुछ विद्वानों के अनुसार यह द्वारिका के समीप स्थित था और दूसरे लोग बड़नगर के समीप मानते हैं । " आनर्त्त की राजधानी कुशस्थली थी । १२ राजशेखर के काव्यमीमांसा में आनर्त की राजधानी आनर्तपुर या आनन्दपुर बतलायी गयी है जो वर्तमान बडनगर के नाम से प्रसिद्ध है ।"
१. भरत सिंह उपाध्याय - बुद्धकालीन भारतीय भूगोल, प्रयाग, सं० २०१८, पृ० १५३; लाहा - वही, पृ० २२
महा १६।१५२
२.
३. काव्यमीमांसा, पटना संस्करण, अध्याय १७, पृ० २२७
४.
भगवत शरण उपाध्याय -- पाणिनिकालीन भारतवर्ष, अध्याय २, पृ० ७६
रिज़ डेविड्स - बुद्धिस्ट इण्डिया, पृ० २७-२८
महा १६ । १५५
७. स्थनिक सेटलमेण्ट इन् ऐंशेण्ट इण्डिया, पृ० १३०
५.
६.
पद्म २७/६
ई. महा १६।१५३
१०. ल्युडर्स की तालिका, सं० ६६५
११- बाम्बे गजेटियर १|१|६
१२. स्थनिक सेटिल्मेण्ट इन् ऐंशेण्ट इण्डिया, पृ० १५ १३. काव्यमीमांसा, पृ० २८०
८.
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